केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी कथित गोरक्षकों का आंतक खत्म होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के शामली जिले का है जहां दो लोगों की गाय तस्करी के आरोप में कथित गोरक्षकों ने बुरी तरह पिटाई कर दी। आरोप है कि गोरक्षक सेवा दल के कार्यकर्ताओं ने गोय तस्करी के शक में आपोपियों को बेल्ट और लाठी से बुरी तरह मारा। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ कर रही है।
Two men were beaten up with belts & sticks by Gau Raksha Seva Dal workers in Shamli yesterday on suspicion of them being cow smugglers. Police took the two men into custody for interrogation. Investigation underway pic.twitter.com/XO5q11NrOv
— ANI UP (@ANINewsUP) August 21, 2018
3 अगस्त को गाय चुराने के आरोप में हुई थी हत्या
हरियाणा के पलवल में 3 अगस्त की रात मवेशी चुराने के शक पर भीड़ ने एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना पलवल के बेहरोला गांव में हुई थी। इस घटना को लेकर बताया जा रहा था कि गांव के लोगों ने ही उस व्यक्ति को पीट पीटकर मार डाला था। व्यक्ति के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। उस व्यक्ति के साथ दो और शख्स थे जो घटनास्थल से फरार हो गए।
मॉब लिंचिंग की इस घटना में शामिल गांव के ही तीन भाईयों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसमें एक को गिरफ्तार किया गया है।
राजस्थान में गोरक्षा के नाम पर हत्या
राजस्थान के अलवर में कथित तौर पर गोरक्षा के नाम पर उमर खान नाम के किसान हत्या कर दी गई थी पुलिस के मुताबिक, अलवर के गोविंदगढ़ में 10 नवंबर को रेल पटरियों के पास एक शव बरामद हुआ था। मृतक की पहचान रविवार को उसके रिश्तेदारों ने उमर खान के रूप में की।
मृतक के परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया था कि इस घटना के 10 नवंबर को घटित होने की संभावना है, जब तीनों लोग अलवर से कुछ गायों को भरतरपुर के एक गांव ले जा रहे थे।
उन्होंने कहा कि जब वे तीनों गोविंदगढ़ के पास पहुंचे तो कुछ गोरक्षकों ने उन्हें रोका और उन पर हथियारों से हमला कर दिया। उमर की मौत के बाद इस घटना में गोली से घायल हुआ एक अन्य व्यक्ति हरियाणा के एक अस्पताल में भर्ती था।
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गोरक्षकों की गुंडागर्दी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
गौरतलब है कि गोरक्षा के नाम पर पूरी देश में भीड़ द्वारा हो रही हत्या पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लोकतंत्र में भीड़तंत्र के लिए कोई जगह नहीं है।
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सुप्रीम कोर्ट ने संसद से इस मामले को लेकर कानून बनाने और सरकारों को संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर 23 दिशानिर्देश भी जारी किए थे जिसमें इस तरह की घटनाओं को होने से रोकने और ऐसा करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के प्रावधान का जिक्र है।
कोर्ट की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देश
अदालत की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार हर जिले में कम से कम SP रैंक के अधिकारी को नोडल अफसर नियुक्त किया जाए। हर जिले में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन हो, जो इस तरह के मामलो पर रोक लगाए और उन लोगो पर नजर रखे जो भीड़ को हिंसा के लिए उकसाते है। राज्य सरकार ऐसे इलाको की पहचान कर जहां भीड़ के जरिये हिंसा की घटनाएं सामने आई है।
Source : News Nation Bureau