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मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विवादित पोस्टर लगाने के दो आरोपी गिरफ्तार

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके में मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री मौर्य के खिलाफ अशोभनीय पोस्टर लगाने के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.

Updated on: 15 Mar 2020, 11:28 PM

लखनऊ:

राजधानी लखनऊ में कथित दंगाइयों के पोस्टर लगाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (keshav Prasad Maurya) के पोस्टर लगाने के आरोप में रविवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजधानी लखनऊ के हजरतगंज इलाके में मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री मौर्य के खिलाफ अशोभनीय पोस्टर लगाने के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. उनमें से सुधांशु और अश्विनी को गिरफ्तार कर लिया गया है. तीसरे आरोपी लालू की तलाश की जा रही है.

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आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी

ये पोस्टर शुक्रवार रात को लगाए गए थे लेकिन उन्हें शनिवार को हटवा दिया गया. गौरतलब है कि नए नागरिकता कानून के खिलाफ गत 19 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में आरोपी बनाए गए 50 से ज्यादा लोगों के नाम, तस्वीर और पते समेत पोस्टर लखनऊ के हजरतगंज समेत चार थाना इलाकों में लगाए गए हैं. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को वे पोस्टर 16 मार्च तक हटाने के आदेश दिए थे. हालांकि राज्य सरकार ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी.

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कांग्रेस ने नया पोस्टर वार शुरू किया

जिन लोगों के पोस्टर राज्य सरकार ने लगवाए हैं उनमें से कई को अदालत ने जमानत दी है. राज्य सरकार की इस कार्यवाही के बाद सपा और कांग्रेस ने नया पोस्टर वार शुरू किया था. सपा के एक कार्यकर्ता ने हजरतगंज में ही होर्डिंग लगाकर उसमें बलात्कार के आरोप में घिरे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद और उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की तस्वीर लगाई थी. उसके बाद शुक्रवार को एक और पोस्टर नमूदार हुआ जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कथित आपराधिक इतिहास का हवाला देते हुए दलील दी गई थी कि अगर बाकी दंगा आरोपियों के पोस्टर लग सकते हैं तो सबसे पहले इन ओहदेदारों से वसूली की जानी चाहिए.