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राम मंदिर से पहले मिलेगा ये तोहफा, PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जल्द होगा तैयार 

राम मंदिर का कार्य 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है तो वहीं विश्वनाथ कॉरिडोर 2021 नवंबर में ही पूरा हो जाएगा.  

Updated on: 14 Aug 2021, 06:56 AM

highlights

  • 15 नवंबर तक विश्वनाथ कॉरिडोर का काम खत्म करने का रखा लक्ष्य
  • टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर और यात्री सुविधा केंद्र की भी व्यवस्था होगी
  • अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा पूरा कॉरिडोर

वाराणसी :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर या विश्वनाथ धाम उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इसी वर्ष 15 नवंबर तक पूर्ण हो जाएगा. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस कॉरिडोर का अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले उद्घाटन कर जनता को समर्पित कर दिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट का 60 फीसद से अधिक काम पूरा हो चुका है. अब सिर्फ सौंदर्यीकरण का काम बाकी है जिसे तेजी से पूरा किया जा रहा है. राम मंदिर का कार्य 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है तो वहीं विश्वनाथ कॉरिडोर 2021 नवंबर में ही पूरा हो जाएगा. इस परियोजना में जितने भी भवन बनने थे वे बन चुके हैं और अभी सिर्फ सुंदरीकरण का कार्य चल रहा है.

नवंबर तक पूरा होगा काम
इस प्रोजेक्ट में मुख्य आकर्षण मंदिर परिसर और चौक एरिया है. चौक एरिया में ही ऑफिस के साथ ही बड़े-बड़े इंपोरियम भी हैं. यहां पर प्रदर्शनी और अन्य चीजें लगेंगी. वाराणसी गैलरी, म्यूजियम और कॉरिडोर के दोनों तरफ बिल्डिंग में दुकान, टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर और यात्री सुविधा केंद्र की भी व्यवस्था रहेगी. कॉरिडोर में मुख्य मार्गों के अलावा गंगा व्यू कैफे दी बनाने की योजना प्रस्तावित है, जहां दर्शन को आने वाले श्रद्धालु कुछ वक्त बिताकर लजीज और सात्विक भोजन का लुत्फ उठा पाएंगे.

मुस्लिम पक्षकारों ने मंदिर को दी 1700 स्क्वायर फीट जमीन
ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा इस समय गरमाया हुआ है. मस्जिद के मुस्लिम पक्षकारों ने बाबा विश्वनाथ को एक बड़ी सौगात दी है. मुस्लिम पक्षकारों ने ज्ञानवापी मस्जिद से सटी 1700 स्क्वायर फीट जमीन मंदिर प्रशासन को दे दी है. हालांकि इस जमीन के बदले मंदिर प्रशासन ने भी मुस्लिम पक्ष को 1000 स्क्वायर फीट की जमीन दूसरे जगह दी है. मंदिर प्रशासन ने मुस्लिम पक्षकारों से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के लिए जमीन की मांग की थी. उनकी अपील पर मुस्लिम पक्षकार एकमत हुए और बीते 8 जुलाई को इस जमीन की बकायदा रजिस्ट्री की गई. इस जमीन पर 1993 के बाद से अस्थाई कंट्रोल रूम बनाया गया था.1993 से ही इस जमीन पर लीज पर मन्दिर का कंट्रोल रूम बना हुआ था लेकिन अब जाकर पूर्ण रूप से ये हिस्सा मन्दिर के नाम कर दिया गया है.