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प्रयागराज में गंगा-यमुना का रौद्र रूप देख खबराए लोग, खतरे के निशान से महज एक मीटर नीचे है जलस्तर

प्रयागराज में दोनों नदियों में आई बाढ़ ने निचले इलाकों में अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. निचले इलाको में बने सैकड़ों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है.

Updated on: 16 Sep 2019, 09:40 AM

प्रयागराज:

प्रयागराज में दोनों नदियों में आई बाढ़ ने निचले इलाकों में अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. निचले इलाको में बने सैकड़ों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है. लोग अब इस बाढ़ के पानी से बचने के लिए अपना आशियाना छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे हैं. जो नही जा सकते उन्होंने अपनी छतों पर ही अपना डेरा डाल लिया है. लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ भी पहुंच गई और लोगों का रेस्क्यू किया. 

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गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है. दोनों नदियां अब खतरे के निशान से एक मीटर से भी कम नीचे बह रही हैं. बाढ़ से कई मोहल्ले और तटीय इलाके हुए जलमग्न हैं. लोगों के घरों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है. गंगा नदी का फाफामऊ में जलस्तर 84.28 मीटर तक पहुंच गया है. वहीं नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 84.12 मीटर है. जबकि दोनों नदियों का डेंजर लेवल 84.734 मीटर है.

प्रयागराज के बघाड़ा इलाके में दो दर्जन से ज्यादा मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया है. बाढ़ से बचने के लिए लोग अपना अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं, जो लोग नहीं जा सकते तो उन्होंने अपना बसेरा अपनी छतों पर बसा लिया है. दोनों नदियों में आई बाढ़ लोगों के लिए मुसीबत का शबब बनती जा रही है. हर घंटे दोनों नदियों के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हो रही है. ऐसे में लगता है इतने जल्दी लोगों को इस मुसीबत से छुटकारा नहीं मिलने वाला.

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कुछ लोगों का आरोप है कि अभी तक किसी भी तरह की सरकारी मदद इन तक नहीं पहुंची है. लोग इस बात से भी परेशान हैं कि ना तो बिजलीं काटी गई है ना किसी तरह की मदद प्रशासन कर रहा है. जिस तरह लगातार दोनों नदियों के पानी में बढ़त हो रही है, वही पानी बढ़ने से ऊंचे स्थानों ओर रहने वाले भी घबराए हुए हैं कि कहीं बाढ़ से उनके मकानों तक पानी न पहुंच जाए.

वहीं एनडीआरएफ की टीम राहत और बचाव में जुटी हुई हैं. गंगा और यमुना नदियों की बाढ़ से अब तक 106 परिवार बेघर हो गए हैं. 106 परिवारों के 600 लोगों ने पांच बाढ़ शिविरों में शरण ली. जिला प्रशासन ने लोगों के खाने पीने का भी इंतजाम किया है. जिला प्रशासन ने कुल 31बाढ़ शिविरों में प्रभावितों के रहने की व्यवस्था की है. डीएम ने बाढ़ शिविर बनाए गए स्कूलों में तीन दिन का अवकाश घोषित किया है.

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