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वो मंदिर जो करता है मानसून की भविष्यवाणी, ऐसे ही कई और भी गहरे राज हैं छिपे

सवाल है कि कब आएगा मानसून, कितनी होगी बारिश. लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर ले जाने वाले हैं, जो मानसून की भविष्यवाणी करता है.

Updated on: 05 Jun 2020, 01:37 PM

कानपुर:

देश में इस वक्त भीषण गर्मी का प्रकोप है. ऐसे में बारिश के लिए सभी की निगाहें मौसम विभाग पर टिकी हैं. सवाल है कि कब आएगा मानसून, कितनी होगी बारिश. लेकिन आज हम आपको ऐसे मंदिर ले जाने वाले हैं, जो मानसून की भविष्यवाणी करता है. 21वीं सदी में मौसम के रुख के बारे में जानना बेहद आसान हो गया है. जैसे बारिश कब होगी, तूफान कब आयेगा. पुराने समय की बात की जाए तो मौसम की जानकारी जुटाना यकीनन और भी मुश्किल होता था. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जो अपने आप में गहरे राज छिपाए हुए है.

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कानपुर शहर (kanpur city) से करीब 50 किमी. दूर भीतरगांव ब्लाक के बेहटा बुजुर्ग गांव का जगन्नाथ मंदिर अनेक रहस्य समेटे है. विशेष धार्मिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक तथ्यों से भरा ये मंदिर 21वीं सदी के विज्ञान के लिए बड़ी चुनौती है. दुनिया के सात अजूबों की तरह इस मंदिर से टपकने वाली बूंदों में भी कई रहस्य छिपे हैं. इस जगन्नाथ मंदिर से टपकने वाली पानी की बूंदों का रहस्य अनोखा है. भीषण गर्मी में गुंबद की शिलाओं से इन बूंदों का टपकना और बरसात आते ही सूख जाना ही किसी आश्चर्य से कम नहीं है. 15 दिन पहले ही मंदिर में टपकने वाली पानी बूंदों का टपकना मानसून आने का संकेत देता है.

गांव के लोगों की मानें तो इन बूंदों का आकार बताता है कि मानसून अच्छा रहेगा या कमजोर. बीते सैकड़ों वर्षों से लोग इस मंदिर की बूंदों से ही मानसून का आंकलन करते आ रहे हैं. इस इलाके में काफी समय से काम कर रहे लोगों का भी कहना है कि लोगों का मंदिर को लेकर अटूट विश्वास है. जगन्नाथ मंदिर बाहर से बौद्ध स्तूप जैसा दिखाई देता है. इस मंदिर के भीतर भगवान जगन्नाथ की मुख्य प्रतिमा और शिल्पकला नायाब है. मंदिर के निर्माण को लेकर अभी तक किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सका है. लेकिन इसकी बनावट और कलाकृतियां बेजोड़ है.

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आखिरकार मंदिर के पत्थर से बूंदें टपकने के राज को समझने के लिए हमारी टीम ने मंदिर के गर्भ गृह के भीतर प्रवेश किया. अंदर जाते ही सबसे पहले कई खंडों को पार करते हुए हमें सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के दर्शन हुए. प्रतिमा के ठीक ऊपर लगे पत्थर से टपकती बूंदों को देखकर हम भी चकित रह गए कि जून की चिलचिलाती गर्मी में आखिर मंदिर के ऊपर पानी कैसे आ रहा है. मंदिर के अंदर हमने देखा कि कैसे पत्थर से लगातार पानी की बूंदे टपक रही है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि बूंदों का आकार इस बात का भी पूर्वानुमान बताती है कि अब की बारिश कितनी होगी.

यहां रहने वाले लोगों का तो यहां तक कहना है कि अगर पत्थर से पानी की बूंदें न टपकी तो पूरे प्रदेश में सूखा पड़ेगा और अगर पानी की बूंदों ने अंगड़ाई ली तो क्या मजाल कि मानसून 15 दिन के अन्दर ना आए. मान्यता है कि ये भविष्यवाणी भगवान जगन्नाथ महाराज के आदेश पर ही पत्थर से होती है और इसी भविष्यवाणी पर आस पास के गांवों के किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के साथ फसलों और खेतों की सफाई-बुआई की तैयारी शुरू करते हैं.

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वहीं इस मंदिर के निर्माण और समय को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है. अलग-अलग देशों से कई इतिहासकार, वैज्ञानिक यहां आ चुके हैं, लेकिन कोई इसके पीछे के राज का खुलासा नहीं कर सका है. फिलहाल यहां सबसे बड़ा सवाल है कि बड़ी बड़ी भविष्यवाणियां करने वाले मौसम वैज्ञानिक, क्या इस मंदिर और इस पत्थर से निकली भविष्यवाणियों को सच मानेंगे? अगर नहीं, तो उनके पास इस बात का क्या जवाब है कि फिर हर साल पत्थर से बूंदे क्यों टपकती हैं और उसके 15 दिन के अंदर मानसून क्यों आता है. शायद इसका जवाब उन्हें इस सृष्टि के पालनकर्ता भगवान जगन्नाथ से ही पूछना होगा जो इस मंदिर में विराजमान हैं.