SC ने कहा-शिवलिंग की जगह को सुरक्षित रखा जाए, लेकिन नमाज़ बाधित न हो 

अहमदी ने आगे कहा, “हमारा कहना है कि ये याचिका स्वीकार ही नहीं होनी चाहिए थी. दूसरी बात ये है कि पुलिस की सहायता चाहिए.

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Pradeep Singh
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ज्ञानवापी मस्जिद( Photo Credit : News Nation)

Gyanvapi Masjid Supreme Court: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायलय ने मंगलवार को कहा कि इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में चल रही है, ऐसे में जरूरी है कि जिला अदालत के फैसले का इंतजार किया जाए. इसके साथ ही ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी ज़िला प्रशासन को यह आदेश दिया कि शिवलिंग की जगह को सुरक्षित रखा जाए, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था से नमाज़ बाधित नहीं हो. शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस भी जारी किया.

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जज ने कहा, “हम नोटिस जारी कर रहे हैं. गुरुवार, 19 मई को सुनवाई करेंगे. उस दिन सिविल कोर्ट में जो वादी हैं, उनके वकील को भी सुना जाएगा. हम 16 मई के आदेश को सीमित कर रहे हैं.” इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है. इस पर पीठ ने कहा कि उन्होंने निचली अदलात कि सुनवाई पर रोक नहीं लगाई है.

उच्चतम न्यायालय में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर सुनवाई जारी है. एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बीच शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई कर रही है क्योंकि वाराणसी की एक अदालत ने सोमवार को वहां के जिला प्रशासन को उस परिसर के अंदर सर्वेक्षण स्थल को सील करने का निर्देश दिया, जहां सर्वेक्षण दल को कथित रूप से ‘शिवलिंग’ मिला है.

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शीर्ष अदालत की मंगलवार के कामकाज की सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्ह की पीठ वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई कर रही है. मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था.

मस्जिद कमिटी के वकील होजैफा अहमदी ने कोर्ट से कहा कि तीन बातें हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि ये पूजा के अधिकार का मामला है और इसमें मां गौरी, हनुमान एवं अनुन्देवता के पूजा की मांग की गई है. उन्होंने फिर कहा गया है कि रोजाना वहां जाने में अवरोध न हो, यानी उस जगह का कैरेक्टर बदलने की मांग है जो इस वक्त मस्जिद है.

अहमदी ने आगे कहा, “हमारा कहना है कि ये याचिका स्वीकार ही नहीं होनी चाहिए थी. दूसरी बात ये है कि पुलिस की सहायता चाहिए. इस पर आदेश हमें सुने बिना किया गया. फिर कहा गया कि इस खास आदमी को कोर्ट कमिश्नर बनाया जाए. निचली अदालत के ये तीन आदेश हैं, जिसे हम चुनौती दे रहे हैं.” उन्होंने कहा कि कोर्ट कमिश्नर पक्षपाती हो सकते हैं.

Supreme Court place of Shivling court commissioner Ajay Mishra gyanwapi masjid
      
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