वाराणसी के सारनाथ निवासी बुजुर्ग मां को दरोगा बेटे ने घर से बेदखल कर दिया. बुजुर्ग मां का बस इतना कसूर है की बेटे से पूछा की फर्जी डिग्री पर तुमने नौकरी क्यों की. छोटे बेटे के साथ फरियाद लेकर पहुंची एडिशनल सीपी के दरवाजे पर. मामला वाराणसी के सारनाथ का है जहां बुजुर्ग मां ने बताया कि उसके बेटे ने अपने पिता की जगह पुलिस विभाग में दरोगा के पद पर फर्जी डिग्री के बल पर मृतक आश्रित पर नौकरी प्राप्त की. बुजुर्ग मां ने बताया की घर में साफ सफाई के दौरान उसे फर्जी डिग्री प्राप्त हुई जब उसने इस बाबत अपने बेटे से बात की तो उसके बेटे ने और बहू ने मां के साथ लड़ाई झगड़े शुरू कर दिया और कई महीनों पहले उसे घर से बेदखल कर दिया.
इसको लेकर आज बुजुर्ग मां अपने छोटे बेटे के साथ एडिशनल सीपी वाराणसी के ऑफिस में शिकायत लेकर पहुंची. दरअसल सुनीता सिंह ने पत्नी स्व.वीर बहादुर निवासिनी बरईपुर थाना सारनाथ वाराणसी ने अपने ही बेटे पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि मेरे पति वीर बहादुर सिंह पुलिस विभाग में मुख्य आरक्षी के पद जनपद चन्दौली में कार्यरत थे. इनकी 2 अप्रैल 2008 को मृत्यु हो गई. सुनीता ने अवगत कराया है कि उसके पति की पहली शादी बड़ी बहन से हुई थी. उसकी मृत्यु के बाद उसकी शादी वीर बहादुर सिंह से हुई. बड़ी बहन का एक मात्र पुत्र विजय प्रताप सिंह उर्फ सोनू उस वक्त काफी छोटा था. शादी के बाद प्रार्थिनी ने एक पुत्र कौशलेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ गोलू व पुत्री सुमन सिंह को जन्म दिया.
पति की मृत्यु के बाद बड़ा लड़का विजय प्रताप सिंह उर्फ सोनू को परिवार की सहमति से अपने पति के स्थान पर मृतक आश्रित के रूप में नियुक्ति अपनी सहमति से दी. जो इस समय एस.एस.आई. बड़ागांव के पद पर कार्यरत है और तमाम गैर कानूनी कार्यों के माध्यम से अवैध रूप से चल-अचल संपत्ति पत्नी नीतू सिंह के नाम से वाराणसी में खरीदी है. उसके द्वारा उच्चधिकारियों को धोखे में रखकर विधि विरूद्ध ढंग से नियुक्ति गृहजनपद में करा ली है और मुझे प्रताड़ित करने के साथ गाली-गलौज करते हुए मुझे अपमानित करता है. जनपद में नियुक्त रहते हुए चल रही जांच को प्रभावित कर रहा है जो न्यायसंगत नही है.
सुनीता ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए बड़ागाव थाने में तैनात एस.एस.आई. की जांच किसी आई.पी.एस.अधिकारी से कराई जाए. सुनीता का आरोप है कि एस.एस.आई. विजय ने 2001 में हाईस्कूल पास किया तथा 2003 में इंटरमीडिएट की परीक्षा में फेल हो गया. उसके बाद 2003-2004 में फर्जी मार्कशीट बलिया से बनवाई. मार्कशीट पर लिखे रोल नंबर से पता चला है कि यह किसी आशुतोष कुमार के नाम पर है. फर्जी मार्कशीट के आधार पर स्नातक में डॉ.घनश्याम सिंह डिग्री कॉलेज वाराणसी में दाखिला लिया. इसके बाद प्रथम वर्ष में फेल होने हो गया.
Source : Sushant Mukherjee