उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. उच्च न्यायालय में यह याचिका इस मामले में CBI जांच पर रोक लगाने के लिए लगाई गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पिछले साल सीबीआई जांच के आदेश दिए थे.
लेकिन यूपी सरकार की अपील पर उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच ने इस साल फरवरी में सीबीआई जांच पर रोक लगाई थी. असफल हुए अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके सीबीआई जांच के आदेश को बरकरार रखने की मांग की थी.
क्या है पूरा मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती परीक्षा के मामले में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के संबंध में 7 जनवरी 2019 का शासनादेश रद्द कर दिया था. इस शासनादेश के आधार पर जनरल व रिजर्व कैटेगरी को क्वालीफाई होने के लिए क्रमशः 65 व 60 प्रतिशत अंकों की आवश्यक्ता होती.
हाईकोर्ट ने दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा था कि पिछले साल सहायक शिक्षक भर्ती की तरह ही इस साल भी क्वालीफाइंग मार्क्स तय करके तीन महीने में रिजल्ट घोषित करें. आपको बता दें कि सरकार ने 1 दिसंबर 2018 को यूपी में 69 हजार सहायक शिक्षकों के लिए भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया था. इन पदों के लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था.
परीक्षा होने के बाद 7 जनवरी को सरकार की तरफ से आनारक्षित वर्ग के लिए 65 और ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालीफाइंग मार्क्स तय किए गए. सरकार के इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालीफाइंग मार्क्स तय करना गैर कानूनी है. इस पर सरकार का कहना था कि क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए सरकार कटऑफ बढ़ाया गया है.
HIGHLIGHTS
- लिखित परीक्षा के बाद कटऑफ लिस्ट बनाने का मामला
- सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जारी किया नोटिस
- 6 जनवरी 2019 को हुई थी लिखित परीक्षा
Source : News Nation Bureau