logo-image

न्यूज़ नेशन की खबर का असर, उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने मांगा स्कूल प्रशासन से जबाव

लखनऊ के एक स्कूल में गरीब बच्ची को शिक्षा का अधिकार के तहत मिले एडमिशन के बाद टीचर द्वारा टार्चर किया जा रहा था। इस खबर को न्यूज नेशन द्वारा दिखाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया है, और स्कूल से जवाब मांगा है। बाल आयोग की एक टीम छात्रा के घर भी जाएगी।

Updated on: 13 Sep 2016, 05:23 AM

Lucknow:

लखनऊ के एक स्कूल में गरीब बच्ची को शिक्षा का अधिकार के तहत मिले एडमिशन के बाद टीचर द्वारा टार्चर किया जा रहा था। इस खबर को न्यूज नेशन द्वारा दिखाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया है, और स्कूल से जवाब मांगा है। बाल आयोग की एक टीम छात्रा के घर भी जाएगी।    

शिक्षा का अधिकार के तहत गरीब बच्चों को भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने का अवसर मिलता है। लेकिन शिक्षा की उम्मीद में गए बच्चों को जब टीचर ही टार्चर करने लगे तो क्या हो ? लखनउ में हुई इस घटना ने अभिभावकों को परेशान कर दिया है। इस मामले मे अभी तक स्कूल प्रबंधन ने टीचर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। लेकिन इस घटना को न्यूज़ नेशन पर दिखाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने बच्ची को हर संभव मदद और कार्रवाई करने का भरोसा दिया है। 


जनिए क्या था पूरा मामला 

गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन मिलता है, जिससे आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल पाती है। इसी अधिकार का उपयोग कर NGO आस्था किरन ने लखनऊ के ही एक गांव बड़ी जुगौली की 10वीं पढ़ने वाली बच्ची का दाखिला शिक्षा के अधिकार के तहत अवध पब्लिक स्कूल में करवाया। लेकिन स्कूल एडमिशन के बाद से ही बच्ची को परेशान कर रहे थे।

आए दिन स्कूल में पढाने वाले शिक्षकों का रवैया उस गरीब बच्ची के प्रति ठीक नहीं रहा। अभी चार दिन पहले ही उस बच्ची से कक्षा में एक स्कूल टीचर ने पहले उस बच्ची के चरित्र पर सवाल खड़े किए। उसके बाद उसे डिक्शनरी देकर प्रोस्टीट्यूट और ब्रोथल के हिंदी में मतलब पूछा। फिर सारे बच्चों के सामने टीचर ने उसे वेश्या कहा, साथ ही यह भी कहा कि उसने इस क्लास को वैश्यालय बना डाला है। 
सबके सामने हुए अपमान को बच्ची बर्दाशत नहीं कर पाई और उसने अपने हाथ की नस काट ली। जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 

डरा हुआ है परिवार 

इस घटना के बाद बच्ची और उसका पूरा परिवार बहुत बुरी तरह डरा हुआ है। उन्हें डर है कि कहीं उनकी बच्ची का करियर स्कूल प्रशासन खराब ना कर दे। कई बार की कोशिशों के बावजूद स्कूल प्रबंधन इस मामले पर बोलने के लिये तैयार नहीं है। 

मामले के संज्ञान में आने के बाद NGO आस्था किरन ने भी कहा कि स्कूल का रवैया ठीक नहीं था और इस संबंध में कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
सवाल उठता है कि क्या गरीब बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ने का अधिकार नहीं हैं?  गरीब बच्चों का RTE यानी शिक्षा का अधिकार के तहत प्राइवेट स्कूल में दाखिला तो पा रहे हैं लेकिन उन बच्चों का ये स्कूल मानसिक रुप से इतना उत्पीडन करते हैं, कि बच्चे ही स्कूल छोडकर चले जाएं।