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नोएडा SSP वैभव कृष्ण का कृत्य सर्विस रूल के खिलाफ : डीजीपी

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों पर सवाल उठाने वाले गौतमबुद्धनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) वैभव कृष्ण पर हमला बोला है.

Updated on: 03 Jan 2020, 03:26 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों पर सवाल उठाने वाले गौतमबुद्धनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) वैभव कृष्ण पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि एसएसपी वैभव कृष्ण का कृत्य सर्विस नियमों के खिलाफ है.

डीजीपी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एसएसपी वैभव कृष्ण से स्पष्टीकरण मांगा गया है और मामले की एडीजी मेरठ से जांच कराने को कहा गया है.

डीजीपी ने कहा, "मामले में एसएसपी से सफाई मांगी गई है. सचिवायल ने गृह विभाग को शिकायत भेजी है. 26 दिसंबर को एडीजी ने जांच के लिए 15 दिन और मांगे. हमने और 15 दिन का समय दिया है. गोपनीय दस्तावेज वायरल करना गैरकानूनी है. गोपनीय दस्तावेज के साथ ऑडियो भी वायरल किया गया था. एसएसपी ने सर्विस नियम का उल्लंघन किया गया. एसएसपी ने गोपनीय दस्तावेज भेजे थे."

गौरतलब है कि गौतमबुद्धनगर के एसएसपी ने कथित वायरल वीडियो पर पर सफाई दी थी. एसएसपी वैभव कृष्ण ने कहा था कि उनके नाम से तीन फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं, जिनमें पीछे से किसी लड़की की आवाज सुनाई दे रही है.

उन्होंने कहा था कि ये वीडियो साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने के लिए वायरल किए गए हैं. दावा किया जा रहा है कि वीडियो में एसएसपी लेटे हुए लड़की से चैटिंग कर रहे हैं. माना जा रहा है कि चैट करने वाली लड़की ने इस वीडियो को खुद ही रिकॉर्ड किया और वायरल कर दिया.

मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मेरठ जोन के आईजी से रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने आईजी रेंज मेरठ आलोक सिंह को इस बाबत निर्देश दिए. सिंह की निगरानी में एसपी हापुड़ संजीव सुमन को जांच सौंपी गई है.

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने एसएसपी (गौतमबुद्धनगर) वैभव कृष्ण द्वारा डीजीपी मुख्यालय व गृह विभाग को भेजी गई रिपोर्ट के मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग की है.

डॉ. नूतन के अनुसार, उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि वैभव कृष्ण ने रिपोर्ट देकर पांच आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायत की, लेकिन उसमें कोई कार्रवाई न होना आपत्तिजनक है.