देश की राजधानी दिल्ली के अलावा उत्तर भारत में दमघोंटू धुंध की घनी चादर छायी हुई है. वायु की गुणवत्ता खतरनाक 'गंभीर श्रेणी' में पहुंच गई. शहर में धुंध और घनी होने के बाद लोग मास्क लगाकर बाहर निकलते देखे गए, जबकि बहुत से लोग घरों के भीतर ही रहे. खतरनाक हो रहे प्रदूषण और स्मॉग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठक के बाद सरकारी अमला सक्रिय हो गया है. आज राजधानी की सड़कों और पेड़ों की पानी की बौछारें की गई. लखनऊ नगर निगम के कर्मचारी अलीगंज, सिकंदर बाग, गोमतीनगर, राजभवन के आसपास पेड़ों और सड़कों पर पानी का छिड़काव करते नजर आए.
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शुक्रवार को सीएम ने बैठक में निर्देश दिए थे कि निर्माण कार्य जहां हो रहे हैं, वहां उसको कवर किया जाए. जहां धूल हो वहां पानी डलवाया जाए, कूड़े का सही निस्तारण किया जाए, चाहे फैक्टरियां हो, चाहे अन्य जगह हो, सब जगह चेकिंग की जाए. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ विभाग और नगर निगम को फोगिंग करने निर्देश दिए गए. प्रत्येक नगरीय क्षेत्रों में पीडब्ल्यू को भी कहा है कि जहां प्रदूषण ज्यादा है, वहां काम रोक दें. जगहों पर धूल को रोकने के लिए पानी डाल दें.
दिल्ली की आबोहवा इस कदर दमघोंटू हो गई है कि सांस लेना भी मानो धीमा जहर लेने के समान हो गया है. दुनिया के 10 प्रमुख शहरों में प्रदूषित हवा के मामले में दिल्ली पहले नंबर पर है. दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 470 पर है, जो कि खतरनाक स्तर है. इसकी गंभीरता को देखते हुए पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करनी पड़ी है. दिल्ली सरकार ने स्कूलों को 5 नवंबर तक के लिए बंद कर दिया है.
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को एक 'गैस चैंबर' जैसा करार दिया और कहा कि जीआरएपी के तहत उनकी सरकार ने सभी स्कूलों को 5 नवम्बर तक बंद करने का निर्णय किया है. सम..विषम योजना चार नवम्बर से एक पखवाड़े के लिए लागू होगी. उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का उल्लेख करते हुए बच्चों को जारी एक संदेश में कहा कि कृपया कैप्टन अंकल और खट्टर अंकल को पत्र लिखें और कहें 'कृपया हमारी सेहत का ध्यान रखें'.
दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद में भी हालात बेहद खराब हैं. गाजियाबाद शुक्रवार को देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा, जहां पीएम 2.5 का स्तर 493 पहुंच गया. नोएडा (477) और ग्रेटर नोएडा (480) में भी हवा में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक रहा. प्रदूषण के खतरनाक स्तर के चलते बड़ी संख्या में लोगों ने सुबह की सैर और अन्य गतिविधियां छोड़ दी हैं. वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में सांस लेने में दिक्कत वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई.
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