सोनभद्र की 'सौ मन सोना कोना-कोना' कहावत हुई ताजा, जानें सोने की कहानी
सोनभद्र जिले में 'सौ मन सोना, कोना-कोना' की कहावत बहुत प्रचलित है और इस कहावत का सीधा संबंध सोन पहाड़ी और अगोरी किला से है.
highlights
- 711 ईस्वी में यहां खरवार आदिवासी राजा बल शाह का शासन था.
- शाह खजाने का चार हजार किलोग्राम सोना लेकर जंगल में छिपे थे.
- आज भी रानी जुरही के नाम का 'जुरही देवी मंदिर' मौजूद है.
:
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का सोनभद्र (Sonbhadra) जिला आजकल कथित विशाल सोना भंडार (Gold Reserve) की वजह से चर्चा में है. यह बात अलग है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) इसे नकार चुकी है, फिर भी जिस सोन पहाड़ी पर सोना होने की अफवाह उड़ी, उसके अतीत (History) में जाना जरूरी है. सोनभद्र जिले में 'सौ मन सोना, कोना-कोना' की कहावत बहुत प्रचलित है और इस कहावत का सीधा संबंध सोन पहाड़ी और अगोरी किला से है. जिले के चोपन विकास खंड के अगोरी गांव के जंगल में आदिवासी राजा बल शाह का 'अगोरी किला' आज भी जीर्ण-शीर्ण हालत में मौजूद है.
यह भी पढ़ेंः ट्रंप भारतीय सरजमीं का इस्तेमाल चुनावी अभियान के लिए करेंगे, अधीर रंजन चौधरी का आरोप
प्रचलित किंवदंती
यहां के आदिवासियों में किंवदंती है कि 711 ईस्वी में यहां खरवार आदिवासी राजा बल शाह का शासन था, जिस पर चंदेल शासकों ने हमला कर दिया था. इस हमले में पराजित राजा बल शाह अपने खजाने का एक सौ मन (चार हजार किलोग्राम) सोना लेकर सैनिकों सहित किला छोड़कर गुप्त रास्ते से किले से महज सात किलोमीटर दूर रेणु नदी से लगे पनारी के जंगलों में छिप गए और इस पहाड़ी के कोने-कोने में उस खजाने को छिपा दिया था और खुद भी छिप गए थे. आदिवासी राजा द्वारा इस पहाड़ी के कोने-कोने में सोना छिपाने की वजह से ही इसे 'सोन पहाड़ी' कहा जाने लगा और तभी से 'सौ मन सोना, कोना-कोना' की कहावत भी प्रचलित हुई.
यह भी पढ़ेंः भारत में अल्पसंख्यक किसी देश से ज्यादा सुरक्षित, उपराष्ट्रपति ने बताया वसुधैव कुटुंबकम का सार
जुरही देवी मंदिर का महत्व
आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर गोंड बताते हैं कि जब चंदेल शासक को राजा बल शाह के खजाना समेत इस पहाड़ी में छिपे होने की सूचना मिली तो उसकी सेना ने यहां भी धावा बोल दिया, लेकिन तब तक एक खोह (गुफा) में छिपे राजा बल शाह को जंगली जानवर खा चुके थे और उनकी पत्नी रानी जुरही को चंदेल शासक ने पकड़कर जुगैल गांव के जंगल में ले जाकर हत्या कर दी थी. जुगैल जंगल में आज भी रानी जुरही के नाम का 'जुरही देवी मंदिर' मौजूद है.
यह भी पढ़ेंः CAA Protest: जाफराबाद स्टेशन पर आज भी नहीं रुकेगी Metro, Entry बंद
राजा बल शाह की तलवार-कवच
गोंड बताते हैं कि उसी दौरान खरवार जाति के एक व्यक्ति को राजा बल शाह का युद्ध कवच और तलवार गुफा से मिली थी. तलवार तो किसी को बेच दी गई, लेकिन अब भी उनका कवच एक खरवार व्यक्ति के घर में मौजूद है. माना जा रहा है कि राजा बल शाह का खजाना आज भी सोन पहाड़ी में छिपा है. आदिवासी राजा बल शाह के अगोरी किला में अब चंदेलवंशी राजा के वंशज राजा आभूषण ब्रह्म शाह का कब्जा है, जो सोनभद्र जिले के राजपुर में रहते हैं. वह बताते हैं कि खजाने के लालच में चरवाहों ने अगोरी किले को खुर्द-बुर्द कर दिया है. पुरातत्व विभाग ने भी किले को संरक्षण में लेने की जरूरत नहीं समझी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य