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सोनभद्र की 'सौ मन सोना कोना-कोना' कहावत हुई ताजा, जानें सोने की कहानी

सोनभद्र जिले में 'सौ मन सोना, कोना-कोना' की कहावत बहुत प्रचलित है और इस कहावत का सीधा संबंध सोन पहाड़ी और अगोरी किला से है.

Updated on: 24 Feb 2020, 09:11 AM

highlights

  • 711 ईस्वी में यहां खरवार आदिवासी राजा बल शाह का शासन था.
  • शाह खजाने का चार हजार किलोग्राम सोना लेकर जंगल में छिपे थे.
  • आज भी रानी जुरही के नाम का 'जुरही देवी मंदिर' मौजूद है.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का सोनभद्र (Sonbhadra) जिला आजकल कथित विशाल सोना भंडार (Gold Reserve) की वजह से चर्चा में है. यह बात अलग है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) इसे नकार चुकी है, फिर भी जिस सोन पहाड़ी पर सोना होने की अफवाह उड़ी, उसके अतीत (History) में जाना जरूरी है. सोनभद्र जिले में 'सौ मन सोना, कोना-कोना' की कहावत बहुत प्रचलित है और इस कहावत का सीधा संबंध सोन पहाड़ी और अगोरी किला से है. जिले के चोपन विकास खंड के अगोरी गांव के जंगल में आदिवासी राजा बल शाह का 'अगोरी किला' आज भी जीर्ण-शीर्ण हालत में मौजूद है.

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प्रचलित किंवदंती
यहां के आदिवासियों में किंवदंती है कि 711 ईस्वी में यहां खरवार आदिवासी राजा बल शाह का शासन था, जिस पर चंदेल शासकों ने हमला कर दिया था. इस हमले में पराजित राजा बल शाह अपने खजाने का एक सौ मन (चार हजार किलोग्राम) सोना लेकर सैनिकों सहित किला छोड़कर गुप्त रास्ते से किले से महज सात किलोमीटर दूर रेणु नदी से लगे पनारी के जंगलों में छिप गए और इस पहाड़ी के कोने-कोने में उस खजाने को छिपा दिया था और खुद भी छिप गए थे. आदिवासी राजा द्वारा इस पहाड़ी के कोने-कोने में सोना छिपाने की वजह से ही इसे 'सोन पहाड़ी' कहा जाने लगा और तभी से 'सौ मन सोना, कोना-कोना' की कहावत भी प्रचलित हुई.

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जुरही देवी मंदिर का महत्व
आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर गोंड बताते हैं कि जब चंदेल शासक को राजा बल शाह के खजाना समेत इस पहाड़ी में छिपे होने की सूचना मिली तो उसकी सेना ने यहां भी धावा बोल दिया, लेकिन तब तक एक खोह (गुफा) में छिपे राजा बल शाह को जंगली जानवर खा चुके थे और उनकी पत्नी रानी जुरही को चंदेल शासक ने पकड़कर जुगैल गांव के जंगल में ले जाकर हत्या कर दी थी. जुगैल जंगल में आज भी रानी जुरही के नाम का 'जुरही देवी मंदिर' मौजूद है.

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राजा बल शाह की तलवार-कवच
गोंड बताते हैं कि उसी दौरान खरवार जाति के एक व्यक्ति को राजा बल शाह का युद्ध कवच और तलवार गुफा से मिली थी. तलवार तो किसी को बेच दी गई, लेकिन अब भी उनका कवच एक खरवार व्यक्ति के घर में मौजूद है. माना जा रहा है कि राजा बल शाह का खजाना आज भी सोन पहाड़ी में छिपा है. आदिवासी राजा बल शाह के अगोरी किला में अब चंदेलवंशी राजा के वंशज राजा आभूषण ब्रह्म शाह का कब्जा है, जो सोनभद्र जिले के राजपुर में रहते हैं. वह बताते हैं कि खजाने के लालच में चरवाहों ने अगोरी किले को खुर्द-बुर्द कर दिया है. पुरातत्व विभाग ने भी किले को संरक्षण में लेने की जरूरत नहीं समझी.