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मां-बाप को घर में कैद कर ससुराल चला गया कलयुगी बेटा, तीसरे दिन पुलिस ने ताला तोड़ाकर निकाला

बच्चों को मां-बाप के बुढ़ापे की लाठी कहा जाता है. वहीं, यही बच्चे मां-बाप की लाठी बनने के बजाए, उनके लिए भला बन जाते है तो उनके दिन पर क्या गुजरती होगी. बस यहीं सोच कर ही रुह कांप जाती है.

Updated on: 09 Dec 2020, 11:18 AM

आजमगढ़:

बच्चों को मां-बाप के बुढ़ापे की लाठी कहा जाता है. वहीं, यही बच्चे मां-बाप की लाठी बनने के बजाए, उनके लिए भला बन जाते है तो उनके दिन पर क्या गुजरती होगी. बस यहीं सोच कर ही रुह कांप जाती है. कुछ ऐसा ही मामला आजमगढ़ के सरायमीर में सामने आया. दरअसल, यहां पर जब पड़ोसी की सूचना पर पुलिस एक घर में तीन दिनों से बंद वृद्ध दंपति का हाल लेने पहुंची. पुलिस ने ताला तोड़कर देखा तो दोनों की दशा इनती खराब थी कि वह अपने बिस्तर से भी उठ पाने में असमर्थ दिखे.

बता दें कि सरायमीर थाना क्षेत्र का एक व्यक्ति कस्बा में अपना घर बनवाकर परिवार के साथ रहता है. परिवार में पति-पत्नी के साथ ही उनके बच्चे भी हैं. इसके अलावा वृद्ध मां-बाप भी साथ ही रहते हैं. वृद्ध मां-बाप की उम्र 80-85 साल की है और दोनों बीमार होने के साथ ही बिस्तर पर पड़े हैं. दोनों की जो स्थिति है, उसमें तो बेटे को पास रहते हुए उनकी देख रेख करनी चाहिए थी, लेकिन ससुराल की चाह में बेटा बीमार मां-बाप को घर में बंद कर शनिवार को अपनी परिवार संग ससुराल रहने चला गया. जाते-जाते भांजे से यह कह गया कि कभी-कभार जा कर देख लेना.

तीन दिनों से वृद्ध दंपति घर में बंद थे. सूचना पर पहुंची पुलिस ताला तोड़कर अंदर गई. पुलिस ने पहले बेटे को फोन कर तत्काल वापस लौटने को कहा. वहीं परिवार के अन्य व्यक्ति को बुला कर दोनों के देखरेख की जिम्मेदारी दी. वहीं, पुलिस के पहुंचने पर लोगों की भीड़ जुट गई थी.

पुलिस ने बताया कि अब पारिवारिक कारण चाहे जो भी रहा हो, स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची थी और घर का ताला तोड़ कर वृद्ध दंपति का हाल लिया. इसके साथ ही परिवार के अन्य लोगों को बुला कर उन्हें बेटे के ससुराल से वापस लौटने तक देखरेख करने की जिम्मेदारी दी गई है. बेटे को भी फोन पर तत्काल वापस लौट कर मां-बाप की देखरेख करने का निर्देश दिया गया है.