CAA: कानपुर हिंसा में सिमी का हाथ आया सामने, ओवैसी की पार्टी का नेता भी शामिल
नागरिकता संशोधन कानून को कानपुर में हुई हिंसा में सिमी का हाथ सामने आया है. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के नेता ने भी हिंसा में अहम भूमिका निभाई.
कानपुर:
कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendmend Act) के विरोध में हुए प्रदर्शनों में सिमी (SIMI) का नाम सामने आ रहा है. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक सिमी के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमएआईएम (AIMIM) के एक स्थानीय ने कानपुर का माहौल बिगाड़ने में भूमिका निभाई है. बताया जा रहा है कि इन दोनों संगठनों को एक स्थानीय संगठन का साथ मिला. 10 दिन पहले ही इस संगठन ने कानून के खिलाफ लोगों को इकट्टा होने का आह्वान किया था. सूत्रों का कहना है कि 13 और 20 दिसंबर को बाबूपुरवा के एक धार्मिक स्थल से भड़काऊ अपील की गई थी. प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसा करने वाले का नाम भी पता चल चुका है, लेकिन कार्रवाई से पहले पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं.
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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कानपुर में जोरदार हिंसा हुई थी. इस हिंसा को रोकने के लिए पुलिस को जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा. इस उपद्रव का काफी संगठित तरीके अंजाम दिया गया था. उपद्रव में पेट्रोल, हथियार, एसिड, बम और अन्य चीजों की मौजूदगी से पुलिस को यह साफ हो गया कि इस हिंसा में कहीं न कहीं बाहरी लोगों का हाथ है. उपद्रवियों की तैयारी इतनी सटीक थी कि आखिरी समय तक पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी. अब तक हुई जांच में सामने आया है कि हिंसा के पीछे सिमी का हाथ रहा है. इसके साथ ही पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भी उग्र विचारधारा वाली एक पार्टी के साथ मिलकर हिंसा का अंजाम दिया. पूरी हिंसा के पीछे एक स्थानीय संगठन ने ही पूरी तैयारी की. बाद में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया सिमी के साथ काम करने वाले स्लीपर सेल इनके साथ जुड़ गए.
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14 लोगों को किया नामजद, 9 गिरफ्तार
शनिवार को हुए बलवे को भड़काने के आरोप में बेकनगंज थाने में सुन्नी उलमा कौंसिल के महामंत्री हाजी सलीस समेत 14 लोगों को नामजद किया गया है. इसमें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से जुड़े नेता भी शामिल हैं. पुलिस के अनुसार हाजी सलीस स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से भी जुड़ा रहा है. अब तक जुटाए गए साक्ष्यों में पता चला है कि बवाल का मास्टरमाइंड मुंशीपुरवा का सुलेमान है. पुलिस के मुताबिक सुलेमान ने ही नमाज से घर लौट रही भीड़ को बवाल के लिए भड़काया. बवाल के बाद से सुलेमान कानपुर से बाहर है.
कई दिनों से की जा रही थी तैयारी
ऐसा नहीं है कि कानपुर हिंसा रातोंरात हुई हो. इसके लिए कई दिनों से तैयारी की जा रही है. भीड़ जुटाने के काम 15-20 दिन से चल रहा था. स्लीपर सेल यतीमखाना, बेकनगंज, चमनगंज, बगाही, बाबूपुरवा और ग्वालटोली जैसे क्षेत्रों में खाने-पीने की दुकानों पर कम उम्र के लड़कों और बच्चों को भड़का रहे थे. बच्चों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया के भ्रामक पोस्ट की कॉपी भी बांटी जा रही थी. दो दिन पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों के पास प्लेकार्ड और पोस्टर थे. पुलिस का मानना है कि छपे हुए पोस्टर्स रातोंरात तैयार नहीं हुए थे. इसके लिए पूरी तैयारी की गई थी.
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पोस्टर लगाकर युवाओं को किया इकट्ठा
कानपुर में एक स्थानीय संगठन ने भीड़ जमा करने में मुख्य भूमिका निभाई. सुरक्षा एजेंसियों को इस बात के सबूत मिले हैं कि 13 दिसंबर को शुक्रवार के दिन युवकों को इकट्ठा करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए थे. बाहर से पहुंचे लोगों ने हिंसक भी का प्रतिनिधित्व किया. इन लोगों को स्थानीय लोग पहचानते ही नहीं थे.
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