सिद्धार्थ नाथ सिंह: साफ-सुथरी छवि और स्वस्थ्य राजनीति का चेहरा
सिद्धार्थ नाथ सिंह प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता स्व. विजयनाथ सिंह के बड़े भाई चौ. नौनिहाल सिंह प्रदेश की एनडी तिवारी एवं वीपी सिंह सरकार में कद्दावर मंत्री रहे हैं.
highlights
- सिद्धार्थ नाथ सिंह का जन्म 1 अक्टूबर 1963 को दिल्ली में हुआ था
- सिद्धार्थ नाथ सिंह को इलाहाबाद पश्चिमी सीट से पहली बार कमल खिलाने का श्रेय
- सिद्धार्थ नाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती हैं
लखनऊ:
सिद्धार्थ नाथ सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री है. योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बनने के पहले वह भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता रहे. वे आंध्र प्रदेश के बीजेपी राज्य प्रभारी तथा पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी हैं. वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं. सिद्धार्थ नाथ सिंह का संबंध पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के परिवार से भी है. उनकी मां सुमन शास्त्री लालबहादुर शास्त्री की बेटी है. यानि सिद्धार्थ नाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती हैं.
सिद्धार्थ नाथ सिंह का जन्म 1 अक्टूबर 1963 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज से बीए (ऑनर्स) अर्थशास्त्र से किया है. राजनीति में लंबे समय से सक्रिय सिद्धार्थ नाथ सिंह चुनावी राजनीति में पहली बार 2017 में उतरे. इलाहाबाद के इलाहाबाद (पश्चिम) विधानसभा सीट से वह 11 मार्च, 2017 को भाजपा उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की. उनके सामने बहुजन समाज पार्टी की पूजा पाल प्रत्याशी थी. पूजा पाल दिवंगत विधायक राजू पाल की विधवा हैं.
गुदड़ी के लाल कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह को इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से पहली बार कमल खिलाने का श्रेय जाता है. उन्हे अपने नाना के पद चिन्हों पर चलकर भाजपा में न केवल साफ-सुथरी छवि वाले नेता का खिताब हासिल हुआ है.
सिद्धार्थ नाथ सिंह प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता स्व. विजयनाथ सिंह के बड़े भाई चौ. नौनिहाल सिंह प्रदेश की एनडी तिवारी एवं वीपी सिंह सरकार में कद्दावर मंत्री रहे हैं. सिद्धार्थ नाथ के परिवार में उनकी पत्नी डॉ. नीता सिंह और पुत्र सिद्धांत और निशांत हैं. उनका सियासी सफर वर्ष 1997 से शुरू हुआ. इसी वर्ष वे बीजेपी के सक्रिय सदस्य बने. इसके बाद उन्हें पार्टी ने कई बड़ी जिम्मेदारियां दी, जिनका उन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया. वे भाजपा युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य भी रहे. इसके साथ ही उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल और गुजरात की जिम्मेदारियां भी सौंपी गई.
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