उत्तर प्रदेश के इस जिले में डीएम बन जाते हैं शिक्षक, पढ़ाते हैं स्कूल में, ये है कारण
सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जहां सरकार मिशन कायाकल्प के जरिये सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की भांति आकर्षक बनाने में जुटी है.
highlights
- श्रावस्ती जिले के जिलाधिकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं
- हर रोज किसी एक विद्यालय का करते हैं निरीक्षण
- प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में माना जाता है श्रावस्ती
लखनऊ:
सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जहां सरकार मिशन कायाकल्प के जरिये सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की भांति आकर्षक बनाने में जुटी है. तो दूसरी ओर क़्वालिटी एजुकेशन के माध्यम से विद्यालय के शैक्षिक वातावरण को भी चुस्त दुरुस्त बनाने में जुटी है.
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सूबे का श्रावस्ती जिला जो हर मायने में देश के बेहद पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता है इसकी शैक्षिक स्थिति में सुधार लाने की कवायद में जिले के डी एम खुद भी टीचर बन सरकारी स्कूल में पढ़ाने लगे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने स्कूल के अधयापकों की भी क्लास ली.
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उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती जनपद शिक्षा क्षेत्र में अंतिम पायदान पर खड़ा माना जाता है. सरकारी स्कूलों में शैक्षिक माहौल बेहतर बनाने की दिशा में जिलाधकारी श्रावस्ती ने अपने मातहत अधिकारियों के साथ हर रोज किसी न किसी सरकारी स्कूल की स्थिति का जायजा लेने व बच्चों के साथ स्कूली अध्यापकों को आवश्यक दिशा निर्देश देने की ठानी है.
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इसी क्रम में आज जिलाधिकारी श्रावस्ती ने जिले के सिरसिया ब्लाक के सरकारी स्कूल का जायजा लिया. जहां उन्होंने बच्चों की मानसिक स्थिति का जायजा लेने के लिए न केवल उनसे मौखिक व लिखित सवाल पूंछे बल्कि स्कूल के ब्लैक बोर्ड पर भी उन्होंने लिख कर बच्चों को पढ़ाया.
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इस दौरान उन्होंने स्कूल के अध्यापकों की भी क्लास ली और उनकी भी शैक्षिक स्थिति जानने का प्रयास किया. जिलाधिकारी ओपी आर्या का कहना है कि श्रावस्ती में शिक्षा सिर्फ नाम मात्र है इस पर हम सबको मिलकर काम करना होगा.
इसी लिए हम प्रति दिन एक दो स्कूल देखते और बच्चों को पढ़ाते हैं. ये हमारा दायित्व बनता है. इस काम मे मुख्यविकास अधिकारी अविनाश राय और अपर जिलाधिकारी योगानंद पाण्डे भी डीएम का साथ दे रहे है.
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