शहीद राम प्रसाद बिस्मिल ने शस्त्र और शास्त्र की परंपरा को आगे बढ़ाया : प्रहलाद सिंह पटेल
शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल उनकी जन्मस्थली उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर पहुंचे और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित पुष्पांजलि समारोह में शामिल हुए.
नई दिल्ली:
शहीद रामप्रसाद बिस्मिल की जयंती के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल उनकी जन्मस्थली उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर पहुंचे और संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित पुष्पांजलि समारोह में शामिल हुए. उन्होंने अमर शहीद प. राम प्रसाद बिस्मिल, शहीद ठाकुर रोशन सिंह और शहीद अशफाक उला खां को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के साथ उत्तर प्रदेश सरकार में पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी, वित्त मंत्री और शाहजहांपुर से विधायक सुरेश कुमार खन्ना, सांसद अरुण कुमार सागर व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे.
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वीरों की पवित्र भूमि शाहजहांपुर को नमन करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि राम प्रसाद बिस्मिल वो शख्सियत थे जिन्होंने छोटी सी उम्र में अपनी आत्मा की आवाज को सुना और उसी तर्ज पर जीवन जीकर आदर्श स्थापित किया और जीवन को सार्थकता देकर चले गए. इतनी कम उम्र में इतना पढ़ना, लिखना और आंदोलन खड़ा कर देना ऐसा बहुत ही कम लोग कर पाते हैं.
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि अगला वर्ष राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती का 125वां वर्ष होगा, हम सबको ये संकल्प लेना होगा कि उनके सम्मान में हम अगले वर्ष को क्या स्वरूप देंगे. बिस्मिल ने शस्त्र और शास्त्र की परंपरा को आगे बढ़ाया अब ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी परंपरा को आगे बढ़ाएं और आने वाली पीढ़ियों तक पहुचाएं.
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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री ने अमृत महोत्सव की कल्पना की थी तो साफ शब्दों में कहा था कि जो गुमनाम शहीद हुए हैं अगर उनको ढूंढ कर लाया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा. पटेल ने कहा कि अगर कोरोना के चलते में इस पवित्र भूमि पर नहीं आ पाता तो ये एक बड़ी चूक होती, उन्होंने कहा कि हम सब सौभाग्यशाली हैं जो इस पवित्र क्षण में यहां उपस्थित हैं. उसके बाद वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल के पैतृक घर गए और उनके परिजनों से मुलाकात की.
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