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अपने परिजनों की प्रेमी के साथ मिलकर हत्या करने वाली शबनम की फांसी टली

अमरोहा परिजनों की हत्या की दोषी शबनम ने  अपनी फांसी को टालने के लिए राज्यपाल को दया याचिका भेजी है, जिसके चलते फिलहाल शबनम की फांसी की सज़ा कुछ वक्त के लिये टल गई है. अब ये दया याचिका यूपी के राज्यपाल के यहां से राष्ट्रपति को भेजी जाएगी.

Updated on: 23 Feb 2021, 05:39 PM

highlights

  • शबनम की फांसी कुछ दिनों के लिए टली
  • राज्यपाल को शबनम ने भेजी है दया याचिका
  • अमरोहा की चर्चित हत्या कांड की दोषी है शबनम

नई दिल्ली:

अमरोहा के चर्चित हत्याकांड की दोषी शबनम की फांसी फिलहाल कुछ दिनों के लिए टल गई है. मंगलवार को अमरोहा जनपद न्यायालय में सुनवाई हुई थी जिसमें शबनम और उसके प्रेमी सलीम से जुड़े अमरोहा के मशहूर हत्याकांड मामले पर सुनवाई चल रही थी. अमरोहा परिजनों की हत्या की दोषी शबनम ने  अपनी फांसी को टालने के लिए राज्यपाल को दया याचिका भेजी है, जिसके चलते फिलहाल शबनम की फांसी की सज़ा कुछ वक्त के लिये टल गई है. अब ये दया याचिका यूपी के राज्यपाल के यहां से राष्ट्रपति को भेजी जाएगी. फिलहाल तब तक के लिएं शबनम को होने वाली फांसी टल गई है.

रविवार को मृत्युदंड की सजा पाने वाली शबनम ने अपने 12 साल के बेटे से मुलाकात की थी. बेटा अपने अभिभावक उस्मान के साथ रामपुर जेल में बंद अपनी मां शबनम अली से मिलने पहुंचा और करीब 45 मिनट तक मुलाकात की. मां से मिलने के बाद बेटे ने मीडिया को बताया कि उसकी मां ने उससे पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा है. उसने कहा, मेरी मां ने मुझे मेरी पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा है. मैं 'राष्ट्रपति अंकल' से फिर से अपील करता हूं कि वो मेरी मां को क्षमा कर दें. इससे पहले शबनम के बेटे की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, जिसमें वह हाथ में एक प्लेकार्ड लिए हुए था जिस पर लिखा था, राष्ट्रपति अंकल, कृपया मेरी मां शबनम को माफ कर दें.

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सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी
गौरतलब है कि अमरोहा की रहने वाली शबनम ने अप्रैल 2008 में प्रेमी के साथ मिलकर अपने सात परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी थी. राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी है. लिहाजा आजादी के बाद शबनम पहली महिला कैदी होगी जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा.

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आज तक किसी महिला को नहीं हुई फांसी
बता दें कि मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था. लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई. वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है. डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी.