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गौतमबुद्ध नगर जिले में 30 अप्रैल तक लागू रहेगी धारा-144 : पुलिस कमिश्नर

रविवार को यह जानकारी मीडिया को जिला पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने दी. जिला पुलिस कमिश्नर की अनुमति के बाद इस आशय के आदेश जिला पुलिस कमिश्नर मुख्यालय ने जारी कर दिए है.

Updated on: 05 Apr 2020, 05:00 PM

नई दिल्ली:

गौतमबुद्ध नगर जिले में धारा-144 की अवधि बढ़ा दी गई है. अभी तक जिले में 5 अप्रैल 2020 तक ही धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी. इस बीच लॉक डाउन (Lock Down) की अवधि भी बढ़ा कर 14 अप्रैल तक कर दी गई है. लिहाजा कोरोनावायरस (Corona Virus) के संक्रमण के चलते धारा 144 की समयावधि भी जिले में बढ़ाई गई है. रविवार को यह जानकारी मीडिया को जिला पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने दी. जिला पुलिस कमिश्नर की अनुमति के बाद इस आशय के आदेश जिला पुलिस कमिश्नर मुख्यालय ने जारी कर दिए है. यह आदेश अपर पुलिस उपायुक्त कानून एवं व्यवस्था आशुतोष द्विवेदी द्वारा जारी किये गए हैं.

जिला पुलिस कमिश्नर मुख्यालय से जारी आदेश के मुताबिक, अब 30 अप्रैल 2020 तक किसी भी स्थान पर पांच से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पूर्ण पाबंदी होगी. कोई भी सभा या कार्यक्रम भी शहर में आयोजित नहीं होगा. साथ ही सामाजिक, राजनितिक कार्यक्रम भी धारा 144 लागू रहने तक पाबंद रहेंगे. अगर इस अवधि में कोई भी शख्स या संस्था धारा 144 का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्यवाही होगी.

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नोएडा के प्राइवेट स्कूल लॉक डाउन के दौरान नहीं लेंगे फीसः डीएम
कोरोना से निपटने के लिए विशेष तौर पर जिले के जिलाधिकारी बनाए गए तेज तर्रार आईएएस सुहास एल. वाई. एक के बाद एक महत्वपूर्ण आदेश जारी कर रहे हैं. 24 घंटे के अंदर ही जारी किए अपने दूसरे आदेश में उन्होंने स्कूल संचालकों/मालिकों को दो टूक चेतावनी दे दी कि, किसी बच्चे/अभिभावक से फीस न मांगें. अगर ऐसा करते पाये गये तो मुकदमा दर्ज कराके एक साल के लिए जेल भेज दिये जाएगा.

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स्कूल संचालकों के फीस मांगने पर हो सकती है जेलः डीएम
नये जिलाधिकारी के इस आदेश ने स्कूल मालिकों के होश उड़ा दिये हैं. दरअसल जिलाधिकारी सुहास एल. वाई ने यह सख्त आदेश यूं ही जारी नहीं कर दिया है. पूर्व डीएम बीएन सिंह के सामने भी अभिभावक इस तरह की समस्या उठाते रहे थे कि, लॉकडाउन और कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी तमाम स्कूल वाले फीस तुरंत जमा करने को कह रहे हैं. जिला प्रशासन सूत्रों के मुताबिक तब, शिकायतों को फाइलों में बंद कर दिया गया था. यह कहकर कि, पहले कोरोना कंट्रोल करें या फिर फीस बचवायें! मौजूदा डीएम सुहास को अभिभावकों की परेशानी जायज लगी. जबकि स्कूल संचालक/मालिकों की बेजा मनमानी और हिटलरशाही लगी. माता-पिता बच्चों के भविष्य के मद्देनजर स्कूल वालों से सीधे बिगाड़ने से बचते हैं. क्योंकि सीधे मोर्चा लेने पर स्कूल प्रबंधन बच्चों और अभिभावकों को मानसिक रुप से प्रताड़ित करते हैं.