राममंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित न्यास के 'ब्लूप्रिंट' पर संघ ने किया मंथन

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने राममंदिर निर्माण के लिए अब गांव-गांव में चर्चा कर जनसहयोग का माहौल बनाने का निर्णय लिया है.

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने राममंदिर निर्माण के लिए अब गांव-गांव में चर्चा कर जनसहयोग का माहौल बनाने का निर्णय लिया है.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने राममंदिर निर्माण के लिए अब गांव-गांव में चर्चा कर जनसहयोग का माहौल बनाने का निर्णय लिया है. संघ के शीर्ष नेतृत्व ने राममंदिर निर्माण के लिए प्रस्तावित न्यास का ब्लूप्रिंट बनाने के साथ निर्माण में आमजन की भागीदारी पर यहां मंथन किया है. बनारस (वाराणसी) में संघ की तीन दिवसीय (मंगलवार, बुधवार, गुरुवार) बैठक के दौरान राममंदिर संबंधित ट्रस्ट और उसके ब्लूप्रिंट को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया.

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संघ के सर सह कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी और सह सर कार्यवाह डॉ़ कृष्ण गोपाल की मौजूदगी में प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों से भी चर्चा की गई. इसमें मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले न्यास का ब्लूप्रिंट बनाने के साथ निर्माण में आमजन की भागीदारी पर विचार हुआ.

सूत्रों के अनुसार, संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने लोहता स्थित माधव सेवा प्रकल्प में काशी और अवध प्रांत के पदाधिकारियों के साथ भी बैठक की. इसमें राममंदिर निर्माण से आमजन को जोड़ने के लिए अभियान के बारे में सुझाव लिए गए. गांव-गांव चर्चा कर जन सुझाव लेने को कहा है.

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सूत्रों ने बताया कि संघ की मंशा है कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर न्यास की तर्ज पर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के नए ट्रस्ट का गठन हो, भले ही स्थाई सदस्यों की संख्या आठ से अधिक कर दी जाए. यह धार्मिक चौरिटेबल ट्रस्ट होगा. इस नए ट्रस्ट में श्रीराम जन्मभूमि न्यास भी समाहित रहेगा. इसके बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह सोमनाथ ट्रस्ट में भी सदस्य हैं. हालांकि अभी इस पर कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. संघ इस पर सबकी सहमति के बाद आगे कोई कदम उठाने की सोच रहा है.

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संघ के पदाधिकारियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही देश के बड़े मंदिरों के विकास और संरक्षण पर भी चर्चा की. इसमें सहमति बनाई गई कि देश के बड़े मंदिरों से काशी के विद्वानों को जोड़ा जाए. काशी के ज्योतिष और धर्मशास्त्र से हिन्दू धर्म को भव्यता दी जाए.

सूत्रों के अनुसार, संघ की ओर से सुझाव दिया गया कि वर्षो के संघर्ष के बाद अयोध्या में राममंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ है. मंदिर पर आए निर्णय को पूरे देश ने स्वीकार किया है. आरएसएस और विहिप ने तय किया है कि केंद्र सरकार की ओर से गठित होने वाले ट्रस्ट को अयोध्या के कारसेवकपुरम में तराशे गए पत्थर सौंप दिए जाएंगे. पत्थर तराशने का काम विहिप के लोग करा रहे हैं.

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संघ के एक सूत्र ने बताया कि आरएसएस से जुड़े धर्माचायरें की इच्छा है कि रामनवमी से मंदिर निर्माण शुरू हो जाए. संघ के कुछ नेताओं ने राममंदिर निर्माण से पहले वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास रचित रामचरित मानस के विद्वानों से भगवान राम के जीवन चक्र के पहलुओं को समझने का सुझाव दिया. राममंदिर में भगवान राम के जीवन से जुड़े हर पहलू को शामिल भी किया जाएगा.

Source : आईएएनएस

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