Sambhal News: 1978 में उत्तर प्रदेश के संभल में हुए दंगों को लेकर अब बड़े अपडेट सामने आए हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश सरकार के न्याय विभाग के विशेष सचिव का एक लेटर सामने आया है जो 23 दिसंबर, 1993 में जिला मजिस्ट्रेट को लिखा गया था. इसमें न्याय विभाग ने संभल दंगों से जुड़े 8 मुकदमों को वापस लेने के आदेश का जिक्र मिला.
इसलिए लिखा गया था लेटर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दावा किया जा रहा है कि मुलायम सिंह की सरकार के दौरान 1993 में पहली कैबिनेट की मीटिंग के बाद 8 मुकदमों को वापस लेने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के न्याय विभाग की तरफ से यह लेटर लिखा गया था. 1978 के दंगों की फाइलें तलाशी जा रही थीं, इसी दौरान यह फाइल भी मिली. रिपोर्ट के अनुसार दंगों के 10 केस की फाइल खंगालने से मालूम हुआ कि हत्या जैसे संगीन मामलों को भी राज्य सरकार काबू करने में असफल साबित हुई.
मुकर गये थे गवाह
न्यायालय में चल रहे संभल में हुए 1978 के सांप्रदायिक दंगों के 10 केस को लेकर सामने आया है कि उनमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. राज्य सरकार के अभियोजन विभाग द्वारा मुकदमों की पैरवी में कोई रुचि नहीं ली गई, जिस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई. इनमें से किसी केस में गवाही ही नहीं हुई, जिस कारण आरोपी बरी हो गए, तो किसी केस में जांच अधिकारी ही गवाही देने के लिए पेश नहीं हुए जिसकी वजह से आरोपी बरी हुए.
दोबारा हो सकती है जांच
योगी सरकार के आदेश पर अब एक बार फिर से 1978 में संभल में हुए सांप्रदायिक दंगों की फाइलें तलाशी जा रही हैं. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही इसकी दोबारा जांच शुरू हो सकती है. मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि 1978 के दंगों से जुड़े तथ्यों की खोजबीन लगातार जारी है. अभी तक हमें 10 मुकदमों की फाइलें मिल चुकी हैं. सरकार इस मामले में जो भी दिशा-निर्देश हमें देगी उसके मुताबिक आगे की कार्यवाही की जाएगी.
सबूतों के अभाव में आरोपी बरी
बता दें कि संभल के 1978 के साम्प्रदायिक दंगों के जिन दस मुकदमों में 2010 में आरोपियों को सबूतों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया गया था उन 10 मामलों की फाइलें तो मिल गयी हैं. लेकिन अभी बाकी की फाइलों को ढूंढ़ना जारी है. इन फाइलों में राज्य बनाम रिजवान, राज्य बनाम मुनाजिर और राज्य बनाम वाजिद आदि केस की फाइल हैं. इनमें धारा 147, 148 ,149, 395, 397, 436 और 307 आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज हुए थे.
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