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सपा ने की CAA विरोध में हुई मौतों की न्यायिक जांच की मांग

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने गत दिसंबर में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा में हुई मौतों की उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की.

Updated on: 14 Feb 2020, 04:19 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने गत दिसंबर में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा में हुई मौतों की उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की. शून्य काल के दौरान सदन में सपा और विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने कहा कि देश की आजादी के लिए हिंदू और मुसलमान दोनों मिलकर लड़े हैं. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी, उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है जबकि जिन लोगों ने अंग्रेजों का साथ दिया वे राष्ट्रवादी होने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान केवल मुस्लिम समाज के लोग ही मारे गए.

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उन्होंने कहा कि लोग शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस और भाजपा के लोगों ने गोलियां चलाईं जिससे लोगों की मौत हुई, इन हत्याओं की जांच उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए. बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि पुलिस ने नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर बर्बरता पूर्ण तरीके से लाठीचार्ज किया, इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा कराई जानी चाहिए और ज्यादती का शिकार हुए सभी लोगों के परिजन को 50-50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाना चाहिए. कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रही महिलाओं तक पर अत्याचार किया है. उन्होंने कहा कि लखनऊ में पुलिस ने कड़ाके की सर्दी की रातों में भी प्रदर्शन कर रही महिलाओं से कंबल और खाने-पीने का सामान छीन लिया.

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पुलिस ने महिला प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए रात में 2:30 बजे धरना स्थल में पानी भर दिया. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कानून हाथ में लेने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी चाहे वह कितना ही ताकतवर क्यों ना हो. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 67 को छोड़कर बाकी सब जगह प्रदर्शन हुए. उन्होंने कहा कि विपक्ष आम लोगों को भड़का कर प्रदर्शन करा रहा है. उन्होंने कहा कि नया नागरिकता कानून किसी के खिलाफ नहीं है, विपक्ष के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई भी मुद्दा नहीं रह गया है. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए खन्ना ने कहा कि राज्य के 8 जिलों में आगजनी की गई और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. खन्ना ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान 61 पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं, ऐसी स्थिति में पुलिस हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकती.

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उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ने कार्यवाही नहीं की होती तो स्थिति और भी खराब हो जाती. पूरे प्रदेश में करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. प्रदेश में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान केवल 21 लोगों की मौत आपसी टकराव के कारण हुई है. ना कि पुलिस की गोली लगने से. इसके पूर्व, विधानसभा अध्यक्ष हृदय रिपीट हृदय नारायण दीक्षित ने इस मुद्दे पर सदन का बाकी काम रोक कर चर्चा कराए जाने की नोटिस की अनुमति नहीं दी. इसे लेकर विपक्षी सदस्य. सदन के बीचोंबीच आकर हंगामा करने लगे जिसके बाद सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई. इससे पहले, सपा और कांग्रेस सदस्यों द्वारा प्रदेश सरकार पर कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रहने का आरोप लगाते हुए हंगामा किए जाने के कारण सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी. पूर्वान्ह 11:00 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग की.

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बसपा और कांग्रेस के सदस्यों ने भी प्रदेश में नए नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई तोड़फोड़ की प्रदर्शनकारियों से वसूली और महिलाओं पर अत्याचार के मुद्दे उठाने चाहे. विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से आग्रह किया कि वे प्रश्नकाल की कार्यवाही पूरी होने दें. इस पर नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इन मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दे वोट दे रहे हैं. उसके बाद सपा के सभी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए. इस पर संसदीय कार्य मंत्री खन्ना ने कहा कि सपा हमेशा अपराधियों का साथ देती है. प्रदेश में कानून-व्यवस्था व्यवस्था पूरी तरह से नियंत्रण में है और वह सपा के कार्यकाल के मुकाबले हजार गुना अच्छी है.