Advertisment

उपचुनाव में सपा और सुभासपा में गठबंधन के आसार, ये हैं उसके संकेत

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) नया साझेदार ढूंढ रही है.

author-image
Yogendra Mishra
New Update
उपचुनाव में सपा और सुभासपा में गठबंधन के आसार, ये हैं उसके संकेत

प्रतीकात्मक फोटो।

Advertisment

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) नया साझेदार ढूंढ रही है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की अखिलेश यादव से मुलाकात को सपा-सुभासपा में गठबंधन के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

उप्र में अभी तक हुए उपचुनाव में सपा को छोटे दलों के गठबंधन से काफी फायदा मिला है. साल 2018 में मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या द्वारा खाली की गई क्रमश: गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. इन सीटों पर सपा को जीत मिली थी.

यह भी पढ़ें- Video: बुलंदशहर हिंसा मामले में जेल से बाहर आए 6 आरोपियों को माला पहनाकर किया स्वागत, जय श्री राम के लगे नारे

भाजपा और प्रदेश सरकार के खिलाफ लगातार बयान देने वाले ओमप्रकाश राजभर को लोकसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश में 13 विधानसभा सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले ओमप्रकाश राजभर और अखिलेश यादव के बीच लंबी वार्ता के बाद कयास लगाया जा रहा है कि दोनों पार्टी उपचुनाव में गठबंधन कर सकती हैं.

योगी सरकार में अनिल राजभर को पदोन्नति कर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है. भाजपा का यह कदम ओम प्रकाश राजभर की कमी को भरने और राजभर वोटबैंक पर सेंध लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. उधर, ओमप्रकाश राजभर ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से आगे की रणनीति पर चर्चा की, ताकि राजभर वोटबैंक में सेंध न लगने पाए.

यह भी पढ़ें- दूसरी शादी के लिए 65 साल के बुजुर्ग ने पत्नी को दिया तीन तलाक, 6 बच्चों के साथ किया बेघर 

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार का कहना है कि अखिलेश यादव के सामने कोई विकल्प नहीं बचा है. पार्टी में सलाह देने वाला कोई बड़ा नेता है ही नहीं. वहीं, ओमप्रकाश के पास भी सपा से गठबंधन के सिवा कोई उपाय नहीं है.

उन्होंने कहा कि ओमप्रकाश की राजभर वोटबैंक पर थोड़ी बहुत पकड़ जरूर है, लेकिन उनका पूरे प्रदेश में कोई असर नहीं है. उनका असर पूर्वाचल की कुछ सीटों तक ही सीमित है.

राजकुमार ने बताया कि भाजपा ने उपचुनाव के लिए रणनीति बहुत ढंग से तैयार की है. ओमप्रकाश राजभर के मुकाबले में भाजपा ने पहले ही अनिल राजभर को प्रोमोशन देकर उनके बरअक्स खड़ा कर दिया है. इसके अलावा पिछड़ा वोट बैंक मजबूत करने के लिए स्वतंत्रदेव को पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है. भाजपा ने हर क्षेत्र में अलग-अलग मजबूत क्षत्रप खड़े कर दिए हैं जो उपचुनाव में इनके लिए मुफीद हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- हमीरपुर समेत 4 सीटों पर उपचुनाव की हुई घोषणा, 23 सितंबर को होगा मतदान 

सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर ने कहा, "अभी समाजवादी पार्टी (सपा) से हमारी औपचारिक बात हुई है. हमारे नेता ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश से सार्थक मुलाकात की है. लेकिन अभी गठबंधन बनने में थोड़ी देर है. हम 27 अगस्त को पार्टी के पदाधिकारियों की घोषणा करेंगे. इसके बाद जनसभा में कार्यकर्ताओं से राय लेकर गठबंधन की ओर बढ़ेंगे."

राजभर ने कहा, "अभी हमारी तीन सीटों पर लड़ने की रणनीति बनी है. ये हैं घोसी, अंबेडकर नगर की जलालपुर और बहराइच की बलहा सीट, जहां हमारा वोटबैंक भी है."

उन्होंने कहा कि उपचुनाव में भाजपा को कुछ नहीं मिलेगा. इन्होंने पिछड़ों के साथ धोखा किया है. जितनी भागीदारी है, उतनी हिस्सेदारी नहीं दी है. भाजपा पिछड़ों की बहुत हमदर्द बनती है, लेकिन पिछड़ों को दिया क्या है?

यह भी पढ़ें- UP के चित्रकूट में 2 नवजातों की मौत, अस्पताल पर लापरवाही का आरोप 

अरुण राजभर ने आगे कहा, "जब हम 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़े तब 35000 से 40000 हजार बिना संसाधन वोट पाए थे. हमारा बेस वोट भाजपाइयों ने ओमप्रकाश राजभर की फोटो लगाकर ले लिया था. इस बार हम लोगों को सचेत करेंगे."

वहीं, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, "ओमप्रकाश राजभर की हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से शिष्टाचार मुलाकात हुई है. देखिए, आगे क्या होता है. यह राजनीति है, गठबंधन भी हो सकता है. इस पर निर्णय अखिलेश यादव लेंगे."

यह भी पढ़ें- 'UP Police में हूं, 25 लाख रुपये और एक चार पहिया दहेज में तो बनता ही है'

दरअसल, योगी आदित्यनाथ कैबिनेट से निकाले जाने के बाद ओमप्रकाश राजभर बदला लेने के मूड में हैं. इसलिए वह सपा के साथ गठबंधन कर उपचुनाव लड़ सकते हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने भाजपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था, जिसमें उनके चार विधायक चुनाव जीते थे. पार्टी अध्यक्ष

राजभर को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया. लोकसभा चुनाव में सुभासपा को भाजपा ने एक भी सीट नहीं दी थी. इसके बाद इनके बीच तनाव बढ़ा. लोकसभा चुनाव के बाद राजभर को योगी सरकार से बर्खास्त कर दिया गया. अब सपा-सुभासपा के बीच गठबंधन की संभावना तेज हो गई है.

उपचुनाव की जरूरत क्यों?

लोकसभा चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश के 11 विधायक सांसद बन गए हैं. इसके अलावा घोसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया है. वहीं हमीरपुर के विधायक अशोक चंदेल को सजा होने के कारण उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है. इसलिए अब 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है.

Source : आईएएनएस

uttar-pradesh-news Bypoll Election Omprakash Rajbhar Akhilesh Yadava
Advertisment
Advertisment
Advertisment