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Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami Photograph: (Social Media)
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने प्रदेश में जंगली जानवरों के हमले का शिकार बनने वालों के परिवारों को मिलने वाली सहायता राशि में बढ़ोतरी की है. पहले जंगली जानवरों के हमले में मौत होने पर मृतक के परिवार को छह लाख रुपए सहायता राशि के रूप में दिए जाते थे. मुख्यमंत्री ने इसे बढ़ाए जाने की घोषणा की है.
वन्यजीवों के हमले में मरने वाले के परिजन को 10 लाख की आर्थिक मदद
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को देहरादून के चिड़ियाघर में वन्यजीव प्राणी सप्ताह का शुभारंभ करते हुए वन्य पशुओं के हमले में मारे जाने वालों के परिवारों को मिलने वाली सहायता राशि को छह लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की घोषणा की. सीएम धामी ने इस मौके पर कहा कि प्रदेश सरकार की कोशिशों से उत्तराखंड में बाघ, तेंदुए, हाथी और हिम तेंदुए जैसे जंगली जानवरों की संख्या में उत्साहजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. लेकिन इससे इन्सान और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ गई हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस चुनौती का सामना करने के लिए ड्रोन और जीपीएस जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे जंगली जानवरों की निगरानी बेहतर तरीके से की जा रही है. स्थानीय जनता के लिए रोजगार के अवसरों का भी सृजन किया जा रहा है. लोगों को इस दिशा में शिक्षित किया जा रहा है कि वे जंगलों की रक्षा व जंगली जानवरों की सुरक्षा में सरकार के भागीदार बन सकें. प्रदेश के एक लाख युवाओं को सीएम यंग ईको-प्रिन्योर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी के लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट नारे का भी जिक्र किया और उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से अपील की कि वे पर्वतों पर गंदगी न फैलाएं.
वन्यपशु और मानव के बीच संघर्ष एक बड़ी चुनौती
उत्तराखंड में मानव औऱ जंगली जानवरों के बीच संघर्ष एक बड़ी समस्या बन चुका है. वन्यपशुओं के हमलों में हर साल अनेक लोग मारे जाते हैं, जो कि वास्तव में प्रदेश के लोगों और राजनेताओं के लिए चिंता का विषय है. बताया जाता है कि हर साल 60 से ज्यादा लोग ऐसे हमलों में अपने प्राण गंवा देते हैं, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं. उत्तराखंड में तेंदुओं के हमले में मारे जाने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. बाघ और हाथी भी मनुष्यों पर जानलेवा हमला करते रहे हैं. सांप के काटने से भी उत्तराखंड में कई लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे गरीब लोगों के मारे जाने से उनके परिवार गहरे आर्थिक संकट में फंस जाते हैं. वन्यजीवों के हमले में मरने वाले स्थानीय लोगों के परिजनों के जीवन में जो शून्य आता है, उसे तो भरा नहीं जा सकता, लेकिन आर्थिक सहायता बढ़ाए जाने से उनकी कुछ मदद जरूर हो सकेगी.