जौनपुर के शिक्षक का रोबोट 'शालू' 38 विदेशी भाषाओं में लोगों की करेगा अगवानी

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मड़ियाहूं के रजमलपुर गांव के रहने वाले केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो कि 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषाओं में लोगों को अगवानी करने में सक्षम है. यह रोबोट मनुष्य की तरह कार्य करने में सक्षम है.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मड़ियाहूं के रजमलपुर गांव के रहने वाले केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो कि 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषाओं में लोगों को अगवानी करने में सक्षम है. यह रोबोट मनुष्य की तरह कार्य करने में सक्षम है.

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Deepak Pandey
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Robot Shalu

रोबोट 'शालू' 38 विदेशी भाषाओं में लोगों की करेगा अगवानी( Photo Credit : IANS)

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मड़ियाहूं के रजमलपुर गांव के रहने वाले केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो कि 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषाओं में लोगों को अगवानी करने में सक्षम है. यह रोबोट मनुष्य की तरह कार्य करने में सक्षम है. उसी की तरह हाव-भाव व्यवहार भी कर सकता है. जौनपुर निवासी दिनेश पटेल मुंबई आईआईटी के केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर साइंस के शिक्षक हैं. उन्होंने हांगकांग की रोबोटिक्स कंपनी हैंसन रोबोटिक्स की सोफिया रोबोट की प्रेरणा से इसे इजाद किया है. फिल्म रोबोट से पटेल काफी प्रभावित हैं. इसी कारण उन्होंने इस ओर अपना कदम रखा है. इसका नाम शालू है.

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दिनेश पटेल ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया कि इसका निर्माण बेकार बचे हुए समान से किया गया है. जिसमें की प्लास्टिक, गत्ता, लकड़ी व एल्युमिनियम आदि का प्रयोग किया गया है. इसे बनाने में तीन साल का समय लगा है. इसमें 50 हजार रुपये का खर्च भी आया है. उन्होंने बताया कि शालू अभी एक प्रोटोटाइप है. रोबोट शालू रोबोशालू के नाम से भी चर्चित है. यह आम लोगों की तरह ही चेहरा पहचानने, व्यक्ति को मिलने के बाद याद रखने, उसके साथ बातचीत करने, सामान्य ज्ञान, गणित पर आधारित शैक्षिक प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम है. साथ ही कई सामान्य वस्तुओं की आसानी से पहचान करने में भी समर्थ है.

दिनेश पटेल ने बताया कि यह आम मनुष्यों की तरह ही हाथ मिलाना, मजाक करना, गम खुशी का इजहार करना, दैनिक समाचार पढ़ना, खाने की रेसिपी बताना, प्रश्नोत्तर और साक्षात्कार भी कर सकता है. रोबोट शिक्षक के रूप में किसी स्कूल में काम कर सकता है. विभिन्न कार्यालयों में एक रिसेप्शनिस्ट के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि यह आत्मनिर्भर अभियान का एक प्रयास है. यह पूर्णतया भारतीय है. किसी स्कूल की कक्षा में बच्चों को पढ़ाने तथा उनके प्रश्नों के उत्तर देने के सक्षम है. कार्यालय में रिसेप्शनिस्ट के रूप में, बैंक, स्कूल, अस्पताल हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन मौखिक के साथ-साथ ईमेल तथा मैसेज करने में सक्षम है. घर पर बुजुर्गों के साथी के रूप में, इसके अलावा घर के बिजली संबंधी उपकरणों को आदेशानुसार संचालित करने में काफी मददगार साबित हो सकता है. यह त्रिम रोबोट आर्टिफिशियल इंटेनलिजेंस तथा इंटरनेट के माध्यम से किसी भी भाषा और प्रश्न का उत्तर देंने में सक्षम है.

उन्होंने बताया कि इस रोबोट को मास्क के जरिए और भी सुंदर बनाया जा सकता है. अभी इसे प्लास्टर आफ पेरिस का प्रयोग करके बनाया गया है. दिनेश पटेल के इस रोबोट को कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर सुप्रातिक चक्रवर्ती ने भी सराहा है. उन्होंने पत्र लिखकर कहा कि यह रोबोट बनाना अच्छा कदम है. यह काफी संसाधनों में बना है. इस तरह का रोबोट शिक्षा, के क्षेत्र में छात्रों से मेलजोल बढ़ाने और मनोरंजन के लिए काफी सहायक हो सकता है. भविष्य में हर काम में दक्ष शालू रोबोट उन युवा, ऊर्जावान भावी वैज्ञानिकों के लिए उदाहरण और प्रेरणा का श्रोत बन सकता है.

HIGHLIGHTS

  • केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक ने एक रोबोट बनाया है
  • मुंबई आईआईटी के केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक हैं दिनेश  
  • रोबोट बनाने में 50 हजार रुपये का खर्च भी आया
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