Exclusive: BHU के विशेषज्ञों से जानें- शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बिना कैसे हो कार्बन डेटिंग
Carbon Dating of Shivling: वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में कोर्ट कमिशन में जो शिवलिंग प्राप्त हुआ था. उसकी आयु सीमा की जांच के लिए कोर्ट आदेश दे रहा है इस आदेश में कोर्ट शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए हुए किस तरह से...
highlights
- शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के तरीके पर फैसला आज
- इतिहासकार ने बताया अल्टरनेटिव तरीका
- आस-पास की चीजों की हो कार्बन डेटिंग
वाराणसी:
Carbon Dating of Shivling: वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में कोर्ट कमिशन में जो शिवलिंग प्राप्त हुआ था. उसकी आयु सीमा की जांच के लिए कोर्ट आदेश दे रहा है इस आदेश में कोर्ट शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए हुए किस तरह से वैज्ञानिक पद्धति से जांच हो. इसका आदेश आ रहा है. ऐसे में किस तरह का ये आदेश हो सकता है और कैसे बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचे बिना उसकी आयु सीमा की जांच हो सकती है. बता दें कि 14 अक्टूबर को वाराणसी की कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाने चल रही है कि किस तरह से कार्बन डेटिंग की जाए कि शिवलिंग को नुकसान न पहुंचे.
शिवलिंग की जगह आसपास की चीजों की हो कार्बन डेटिंग
इस बारे में हमने बीएचयू के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ओंकार नाथ सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग तो नहीं हो सकती. क्योंकि उससे शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है. पर उसके आसपास के इलाके की कार्बन डेटिंग जरूर हो सकती है. इसके साथ ही शिवलिंग की वैज्ञानिक पद्धति से जांच हो सकती है, जिससे शिवलिंग को बिना नुकसान पहुंचाए हुए उसकी आयु सीमा पता लग सके.
ये भी पढ़ें: Gyanvapi: 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग पर फैसला आज, ये है मुख्य मांग
पुराने मंदिरों की कार्बन डेटिंग से भी तथ्य आ सकते हैं सामने
वाराणसी के ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की किस तरह से आयु सीमा की जांच हो जिससे शिवलिंग कितना पुराना है इसका पता लग सके और इसकी विधि किस तरह की होनी चाहिए हालांकि कोर्ट का आदेश आज इसी पर आ रहा है. इस पर इस बारे में हमने बीएचयू में इतिहास के प्रोफेसर प्रवेश भारद्वाज से बात की, तो उन्होंने बताया कि जो अब तक पुराने मंदिर मिले हैं उसमें जो विधियां आयु सीमा पता लगाने के लिए लगाई गई है. उसी तरीके से अगर यहां पर भी जांच की जाए तो शिवलिंग की आयु सीमा पता लग सकती है. उन्होंने ये भी बताया कि जो प्राचीन समय में वहां पर पूजन किए गए होंगे, इसके अलावा जो आसपास का इलाका होगा उसकी जांच से भी बहुत कुछ सामने आ सकता है.
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