आजमगढ़ में सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में हुई नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप में मण्डलायुक्त ने उत्तर प्रदेश सरकार से जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को निलम्बित करने और प्रकरण की जांच सतर्कता विभाग से कराने की सिफारिश की है. मण्डलायुक्त कनक त्रिपाठी ने शनिवार को बताया कि आजमगढ़ जिले के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक के पद पर गलत तरीके से की गयी नियुक्तियों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा अनुमोदित किये जाने के बारे में कई शिकायतें मिली थीं.
उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में अपर आयुक्त (प्रशासन) अनिल कुमार मिश्र की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित कर मामले की बारीकी से जांच की गयी. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसए ने नियुक्ति के लिये पूर्वानुमति देते समय अभ्यर्थियों के कागजात की जांच नहीं की. मण्डलायुक्त ने बताया कि जांच में पाई गयी गम्भीर किस्म की अनियमितताओं के कारण उन्होंने शुक्रवार को बीएसए देवेन्द्र कुमार पाण्डेय को निलम्बित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति की है.
साथ ही इन नियुक्तियों को निरस्त कर सतर्कता जांच कराये जाने की भी सिफारिश शासन को भेज दी है. उन्होंने बताया कि पाण्डेय ने कुल 20 अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में 20 प्रधानाध्यापकों/प्रधानाध्यापिकाओं के चयन को गलत तरीके से मंजूरी दी. कनक ने बताया कि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि बीएसए ने कुल 34 अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में कला वर्ग और भाषा अध्यापक के पद पर नियुक्ति की इजाजत दी लेकिन नियुक्ति के लिये अनुमति पत्र में कला वर्ग में विषय का उल्लेख नहीं किया गया, जबकि कला वर्ग में गणित और विज्ञान को छोड़कर सभी विषय यथा... हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू, कला, सामाजिक विज्ञान, बेसिक क्राफ्ट आदि आते हैं.
उन्होंने बताया कि स्कूलों के प्रबन्धकों ने त्रुटिपूर्ण विज्ञापन प्रकाशित कराया और आवश्यकता न होते हुए भी मनमाने ढंग से कला वर्ग तथा भाषा विषय में अध्यापकों की नियुक्ति कर दी. बेसिक शिक्षाधिकारी ने बिना परीक्षण किये ही उन नियुक्तियों को हरी झंडी भी दिखा दी. मण्डलायुक्त ने बताया कि जांच में यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि बीएसए ने जिले के 20 अशासकीय अनुदानित जूनियर हाई स्कूलों में विज्ञान विषय में 20 सहायक अध्यापक/सहायक अध्यापिकाओं के गलत चयन को भी मंजूरी दी थी.
Source : Bhasha