/newsnation/media/media_files/2025/10/25/shiv-2025-10-25-21-37-25.jpg)
दुर्लभ एकमुखी शिव मूर्ति Photograph: (social media)
यूपी में एक दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग मूर्ति का पता चला है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और उनके गांव के लोगों इसका पता लगाया. वे दाह संस्कार में शामिल होने वाराणसी के उत्तर दिशा में गंगा नदी के किनारे गए थे, जहां ये दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग मिला. बलुआ पत्थर से बनी एक मुखी दुर्लभ शिवलिंग की मूर्ति चौबेपुर के पास मिली. यह मूर्ति काफी आकर्षक होने के साथ कलात्मक भी है. इसके मुख पर भगवान शिव की खास मुद्रा देखी जा सकती है. भगवान शिव की मूर्ति में गोल कुंडल, गले की माला और सूक्ष्म नक्काशी काफी अच्छे लगते हैं. मूर्ति का ऊपरी भाग गोलाकार लिंग के रूप में है. वहीं सामने की दिशा में एक विशिष्ट मुख उकेरा गया है. यह काफी दुर्लभ बनाता है.
कारीगरों की निपुणता दिखाती है
यह मूर्ति वाराणसी से करीब 20 किलोमीटर उत्तर, गंगा के उत्तरी तट पर चौबेपुर के पास पाई गई है. इस प्राचीन मूर्ति का का अध्ययन और अवलोकन प्रमुख पुरातत्वविदों डॉ. सचिन तिवारी, डॉ. राकेश तिवारी, और प्रोफेसर वसंत शिंदे ने किया है. इन तीनों विशेषज्ञों ने इसके टाइम पीरियड को निकाल लिया है. इसे गुर्जर–प्रतिहार काल 9वीं–10वीं सदी का बताया जा रहा है. इसकी शैली इस काल की है. काशी–सारनाथ कला परंपरा का असर इसकी कलाकृति में दिखता है. डॉ. सचिन तिवारी ने कहा कि इस मूर्ति का शिल्प प्रतिहार काल की उत्कृष्ट कला का परिचायक है. इसमें उस युग की सौम्यता और स्थानीय कारीगरों की निपुणता दिखाई ​देती है.
एक सक्रिय शैव मंदिर या मठ रहा होगा
राकेश तिवारी के अनुसार, गंगा के किनारे इस तरह की मूर्तियों का मिलना इस बात का संकेत है कि यहां पर कभी एक सक्रिय शैव मंदिर या मठ हो सकता हे. प्रो.वसंत शिंदे का कहना है कि यह खोज वाराणसी के आसपास के पुरातात्त्विक परिदृश्य को नया आयाम देती है. मूर्ति की शैली और पत्थर से स्पष्ट है कि यह स्थानीय शिल्पियों की ओर से तैयार प्राचीन कृति है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह खोज वाराणसी क्षेत्र में मध्यकालीन शैव परंपरा, गंगा तटीय सभ्यता और प्रतिहार कालीन कला शैली के अध्यन को लेकर अहम साक्ष्य है. प्रोफेसर चौबे के अनुसार, भविष्य में इस स्थल का वैज्ञानिक सर्वेक्षण और संरक्षण कार्य का प्रस्ताव दिया है, ताकि इस मूर्ति और संबंधित स्थल का उचित अभिलेखन किया जा सके.
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us