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Ramvilas Das Vedanti: अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. रामविलास दास वेदांती अब इस दुनिया में नहीं रहे. बीमारी के चलते 67 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. मध्य प्रदेश के रीवा में प्रवास के दौरान उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान ही उनका देहावसान हो गया. उनके निधन की खबर मिलते ही अयोध्या सहित पूरे संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई.
अयोध्या में शोक, पार्थिव शरीर लाने की तैयारी
डॉ. वेदांती के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी और शिष्य पार्थिव शरीर को रीवा से अयोध्या ले जाने की तैयारी में जुट गए हैं. अयोध्या में उनके अंतिम दर्शन और जल समाधि की प्रक्रिया संपन्न की जाएगी. राम भक्तों और अनुयायियों के लिए यह एक गहरा आघात है, क्योंकि वे दशकों से राम मंदिर आंदोलन का चेहरा बने हुए थे.
श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ, पूर्व सांसद एवं श्री अयोध्या धाम स्थित वशिष्ठ आश्रम के पूज्य संत डॉ. रामविलास वेदांती जी महाराज का गोलोकगमन आध्यात्मिक जगत और सनातन संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 15, 2025
उनका जाना एक युग का अवसान है। धर्म, समाज व…
मुख्यमंत्री योगी की भावपूर्ण श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. रामविलास दास वेदांती को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख स्तंभ थे. उन्होंने उनके निधन को सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया. मुख्यमंत्री ने उनके त्यागमय जीवन को धर्म, समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत बताया और प्रभु श्रीराम से दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की.
कौन थे डॉ. रामविलास दास वेदांती
डॉ. रामविलास दास वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को हुआ था. वे एक प्रमुख हिंदू संत, राम जन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे. वे विश्व हिंदू परिषद से भी जुड़े रहे और राम मंदिर निर्माण के लिए लगातार सक्रिय भूमिका निभाते रहे. वर्ष 1996 में मछलीशहर और 1998 में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से वे भाजपा सांसद चुने गए.
रामकथा से आंदोलन तक का सफर
डॉ. वेदांती रामकथा और भागवत कथा के प्रख्यात वक्ता थे. उन्होंने देश-विदेश में हजारों धार्मिक कथाएं कर राम मंदिर आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया. संसद से लेकर सड़कों तक उन्होंने मंदिर निर्माण की मांग को मुखर रूप से उठाया. बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में वे आरोपी बनाए गए थे, हालांकि बाद में उन्हें बरी कर दिया गया.
एक अपूरणीय क्षति
15 दिसंबर 2025 को रीवा में रामकथा कार्यक्रम के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और वहीं से उनका जीवन संघर्ष समाप्त हो गया. संत समाज और राम भक्तों के लिए उनका जाना एक ऐसे युग का अंत है, जिसने राम मंदिर आंदोलन को नई दिशा और ऊर्जा दी.
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