रामलला विराजमान के वकील और उनके परिवारों को किया गया सम्मानित
अयोध्या मामले में रामलला विराजमान की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वकीलों और उनके परिवारी जनों को शनिवार को कारसेवक पुरम में सम्मानित किया गया.
अयोध्या:
अयोध्या मामले में रामलला विराजमान की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वकीलों और उनके परिवारी जनों को शनिवार को कारसेवक पुरम में सम्मानित किया गया. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से राम मंदिर से जुड़े वकीलों के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर पक्ष की तरफ से मुकदमा लड़ने वाले वरिष्ठ वकील के परासरण, पीवी नरसिंहम, सी वैद्यनाथन, रंजीत कुमार, बीजेपी नेता और अधिवक्ता भूपेंद्र यादव, यूपी के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह और साध्वी ऋतंभरा प्रमुख रूप से शामिल हुए.
Lawyers of Ram Lalla Virajman and their family members felicitated at Kar Sevak Puram in Ayodhya, today. pic.twitter.com/zaFtWxjNGk
— ANI UP (@ANINewsUP) November 23, 2019
हनुमान गढ़ी और अयोध्या के किए दर्शन
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि सम्मान समारोह से पहले सभी हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि के दर्शन करने गए. शुक्रवार रात ही सभी अयोध्या पहुंच चुके थे. सुरक्षा कारणों से सभी को अलग-अलग स्थान पर ठहराया गया.
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के. पाराशरण की रही अहम भूमिका
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में तीन बड़े पक्ष रहे, जिनमें राम जन्मभूमि न्यास, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा शामिल हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और रामलला विराजमान की ओर से पाराशरण ने पैरवी की. इस मामले की सुनवाई के आखिरी दिन राजीव धवन ने हिंदू पक्षकार की ओर से पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया, जिसको लेकर वो लगातार सुर्खियों में बने रहे.
हिंदू ग्रंथों में महारत हासिल
पाराशरण को हिन्दू ग्रंथों की अच्छी जानकारी है. साथ ही वो वकीलों के खानदान से आते हैं. हाल ही में सबरीमाला मंदिर मामला और अयोध्या मामला काफी सुर्खियों हैं. इन दोनों मामले में पाराशरण ने पैरवी की है. सबरीमाला में ये नायर सर्विस सोसाइटी के वकील बने थे, जबकि अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के वकील हैं.
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कौन हैं पाराशरण
अयोध्या मामले से चर्चा में आए पाराशरण का जन्म साल 1927 में तमिलनाडु के श्रीरंगम में हुआ था. उनको वकालत विरासत में मिली. उनके पिता भी वकील थे. पाराशरण ने साल 1958 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी. तब से लेकर अब तक कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन पाराशरण सबके भरोसेमंद वकील बने रहे. वो साल 1976 में तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल रहे, उस समय वहां राष्ट्रपति शासन लगा था. जब साल 2003 में NDA सरकार थी, तब उनको पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया. इसके बाद साल 2011 में यूपीए सरकार ने पाराशरण को पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
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