लॉकडाउन: घरों में 'रामायण', सड़क पर 'रोटी' का महाभारत! भूख से बिलबिला रहे हैं लोग

महानगरों में रोटी-रोजगार के साधन बंद होने के बाद गांवों की ओर पैदल लौट रहे श्रमिकों के लिए सड़क पर 'रोटी' हासिल करना महाभारत बनता जा रहा है.

महानगरों में रोटी-रोजगार के साधन बंद होने के बाद गांवों की ओर पैदल लौट रहे श्रमिकों के लिए सड़क पर 'रोटी' हासिल करना महाभारत बनता जा रहा है.

author-image
Sushil Kumar
एडिट
New Update
Ration

प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा देश लॉकडाउन है. इस बीच घरों में नजरबंद लोगों के मनोरंजन के लिए केंद्र सरकार ने धार्मिक सीरियल 'रामायण' और 'महाभारत' का पुन: प्रसारण शुरू कर दिया है. लेकिन महानगरों में रोटी-रोजगार के साधन बंद होने के बाद गांवों की ओर पैदल लौट रहे श्रमिकों के लिए सड़क पर 'रोटी' हासिल करना महाभारत बनता जा रहा है. पिछले पांच दिनों से सड़कों पर कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो किसी के भी दिल को दहला देती हैं. कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से पूरा देश लॉकडाउन है, लिहाजा महानगरों की सभी सरकारी, गैर सरकारी कंपनियां बंद हो गईं और उनमें मजदूरी करने वाले मजदूर बेकार हो गए.

Advertisment

यह भी पढ़ें- क्रिकेट पर लंबे समय तक चलेगा कोरोना वायरस का कहर, ऑस्ट्रेलिया के बांग्लादेश दौरे पर लटकी तलवार

लोग भूख से बिलबिला रहे हैं

वाहनों के अभाव में कोई एक हजार तो कोई पांच सौ किलोमीटर का सफर कर पैदल अपने घर लौट रहा है. उन महानगरों से ज्यादा लोग लौट रहे हैं, जहां संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. इस बीच सड़कों पर मेला लगा हुआ है और लोग भूख से बिलबिला रहे हैं. लॉकडाउन का पालन कराने की जिम्मेदारी संभाल रहे पुलिसकर्मी कहीं लाठी बरसा रहे हैं तो कहीं इंसानों को मेढक जैसे रेंगने के लिए मजबूर कर रहे हैं. सबसे ज्यादा भयावह तस्वीर बरेली से आई है, जहां सरकारी मुलाजिम महिलाओं और बच्चों के ऊपर रसायन छिड़क कर सैनिटाइज करते देखे गए हैं. इन सभी पहलुओं के बीच केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण विभाग ने छोटे पर्दे (टीवी) पर धार्मिक सीरियल 'रामायण' और 'महाभारत' की भी शुरुआत कर दी है, ताकि अपने घरों में नजरबंद लोग आराम से मनोरंजन कर सकें.

यह भी पढ़ें- सोशल मीडिया पर छाए 'रामायण' पर बने मीम्स, Trending रहीं कैकेयी और मंथरा

 बाहर से आने वालों की पूरी जांच की जाती है

लेकिन, शायद ही सरकार को पता रहा हो कि जिस समय कुछ लोग घरों में रामायण सीरियल देख रहे होंगे, ठीक उसी समय समाज का एक बड़ा तबका (श्रमिक वर्ग) सड़कों पर 'भूख' और 'जलालत' का महाभारत भी देखेगा. अगर बुंदेलखंड की बात की जाए तो यहां के करीब दस से पन्द्रह लाख कामगार महानगरों में रहकर बसर कर रहे हैं, जिनकी अब घर वापसी हो रही है. गैर सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो पिछले चार दिनों में करीब एक लाख से ज्यादा मजदूरों की वापसी हो चुकी है और इनमें से बहुत कम ही लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग हुई है. हालांकि, चित्रकूटधाम परिक्षेत्र बांदा के कमिश्नर (आयुक्त) गौरव दयाल पहले ही कह चुके हैं कि "बुंदेलखंड की सीमा में हर जगह कोरोना चेक पोस्ट स्थापित हैं, जहां बाहर से आने वालों की पूरी जांच की जाती है और सोशल डिस्टेंसिंग से रोकने की भी व्यवस्था की गई है."

यह भी पढ़ें- Corona Virus: अब आप घर बैठे करा सकते हैं कोरोना का टेस्ट, ऐसे कराए ऑनलाइन बुकिंग

सीमा में प्रवेश करते समय लोगों की जांच भी नहीं हुई

लेकिन, अपर जिलाधिकारी बांदा द्वारा सोमवार को जारी एक पत्र ने सीमा की तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है. अपने पत्र में अपर जिलाधिकारी (एडीएम) संतोष बहादुर सिंह ने कहा कि "गांवों में बड़ी संख्या में बाहर से लोग आए हैं, इनकी ग्रामवार सूची बनाई जाए और उन्हें विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों में क्वारंटीन किया जाए."इस पत्र से जाहिर है कि प्रशासन के पास सही आंकड़े नहीं हैं और सीमा में प्रवेश करते समय लोगों की जांच भी नहीं हुई. जिससे ग्रामीण क्षेत्र में संक्रमण बढ़ने की आशंका है. बांदा के बुजुर्ग अधिवक्ता रणवीर सिंह चौहान कहते हैं, "लॉकडाउन की घोषणा से पहले सरकार को कम से कम तीन दिन की मोहलत उन लोगों के घर वापसी के लिए दिया जाना चाहिए था, जो परदेश में मजदूरी कर रहे थे. जल्दबाजी में लिए गए निर्णय से लॉकडाउन का कोई अर्थ नहीं निकला."बकौल चौहान, "घरों में 'रामायण' हो रही है और मजदूर वर्ग सड़क पर 'रोटी' का 'महाभारत' देख रहा है. ऊपर से उन्हें पुलिस की लाठियां ब्याज में मिल रही हैं."

Lucknow corona mahabharat lockdown Ramayana
      
Advertisment