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राम मंदिर का नक्शा पास होने के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का बयान

अयोध्या विकास प्राधिकरण ने राम मंदिर निर्माण के लिए नक्शे को बुधवार को हुई बैठक में सर्वसम्मति से पास कर दिया. इस संबंध में बोर्ड की बैठक प्राधिकरण सभाकक्ष कमिश्नर एम.पी. अग्रवाल की अध्यक्षता में की गई, जिसमें श्रीराम मंदिर निर्माण के मानचित्र को प्र

Updated on: 04 Sep 2020, 02:45 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या विकास प्राधिकरण ने राम मंदिर निर्माण के लिए नक्शे को बुधवार को हुई बैठक में सर्वसम्मति से पास कर दिया. इस संबंध में बोर्ड की बैठक प्राधिकरण सभाकक्ष कमिश्नर एम.पी. अग्रवाल की अध्यक्षता में की गई, जिसमें श्रीराम मंदिर निर्माण के मानचित्र को प्राधिकरण बोर्ड से मंजूरी मिल गई. राम मंदिर का नक्शा पास होने के बाद न्यूज नेशन पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बयान दिया. 

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चंपत राय ने कहा कि मंदिर निर्माण में कितनी लागत आएगी, अभी इसका अनुमान नही लगाया गया है. 161 फ़ीट ऊंचा मंदिर बनेगा. 12 हज़ार वर्ग मीटर से ज़्यादा ज़मीन पर मंदिर का निर्माण होगा. 

उन्होंने आगे बताया कि ओपन एरिया में ग्रीनरी,पार्किंग,फुलवरिया,बड़ी सड़के होगी. ओपन एरिया में ही भगवान और भक्तों की रसोई बनेगी. परिसर में बड़े बड़े उद्यान बनेंगे.परिसर में पुस्तकालय भी बनेगा. परिसर की खुदाई में जो अवशेष मिले हैं,ओपन एरिया में उनको रखने के लिए संग्रहालय बनेगा. जल्द ही निर्माण शुरू होगा,थोड़ा धैर्य रखने की ज़रूरत है.

बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 2 लाख 74 हजार 110 वर्ग मीटर का मानचित्र दाखिल किया है. इसमें ओपन एरिया 2,74,110 वर्ग मीटर और कवर्ड एरिया 12,879 वर्ग मीटर है. ट्रस्ट को विकास शुल्क के साथ-साथ अनुरक्षण शुल्क पर्यवेक्षण व लेबर सेस भी देना होगा. ट्रस्ट को 2 करोड़ 11 लाख रुपए प्रधिकरण को देना है. इसके अलावा 15 लाख रुपए लेबर डिपार्टमेंट को देना है.

ट्रस्ट की तरफ से जमा की जाने वाली यह शुल्क आयकर छूट के बाद की है. बोर्ड से मानचित्र की मंजूरी के बाद प्राधिकरण शुल्क जमा करने के लिए ट्रस्ट को पत्र जारी करेगा. ट्रस्ट उसी के बाद धनराशि जमा करेगा. धनराशि जमा होने के बाद ही प्राधिकरण नक्शा ट्रस्ट को सौंपेगा.

लगभग 67 एकड़ भूमि का लेआउट समेत मानचित्र मंजूरी के लिए ट्रस्ट ने प्राधिकरण को सौंपा है, जिसमें करीब पांच एकड़ में राम मंदिर का निर्माण है. बाकी भूमि के लेआउट को इसलिए शामिल किया गया है, जिससे भविष्य में किसी प्रकार के निर्माण में अड़चन न हो.