आज अयोध्या जाएंगे नृपेंद्र मिश्र, राम मंदिर निर्माण का लेंगे जायजा
अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र का दो दिवसीय अयोध्या दौरा आज से शुरू हो रहा है. आज शाम को वो दिल्ली से अयोध्या पहुंचेंगे.
नई दिल्ली:
अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र का दो दिवसीय अयोध्या दौरा आज से शुरू हो रहा है. आज शाम को वो दिल्ली से अयोध्या पहुंचेंगे. नृपेंद्र मिश्र 8 और 9 सितंबर को राम मंदिर निर्माण संबंधी गतिविधियों में शामिल होंगे. इसके अलावा वो ट्रस्ट के पदाधिकारियों और एलएनटी के इंजीनियर्स के साथ बैठक भी करेंगे.
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हो गया है. CBRI रुड़की और IIT मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है. मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है.
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रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो. मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा.
वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि देश की अग्रणी निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए तैयार है, जो राम जन्मभूमि परिसर में 12,879 वर्ग मीटर के क्षेत्र में होगा.
कंपनी बिना किसी शुल्क के यह निर्माण कार्य कर रही है. मंदिर की आधारशिला के लिए धरातल से करीब 100 फीट नीचे 1200 खंभे स्थापित किए जाएंगे. इन पिलरों का निर्माण पत्थरों से होगा और इसमें लोहे का प्रयोग नहीं किया जाएगा. फिर दोबारा, इन पिलरों पर अन्य स्तर की आधारशिला रखी जाएगी.
निर्माण कंपनी ने मुंबई से मशीनों को मंगवाया है और हैदराबाद से मशीनों को मंगाने की प्रक्रिया में है. ट्रस्ट की ओर से मंदिर के अधाराशिला निर्माण के लिए करबी 100 मजदूरों को लगाया जाएगा.
बीते सप्ताह, अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने राम मंदिर और पूरे राम जन्मभूमि परिसर का नक्शा पास किया था. प्रस्तावित राम मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा. ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर की आधारशिला आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर बनाई जाएगी, ताकि इसे 1500 वर्षो तक और इसकी संरचना को 1000 वर्ष तक संरक्षित किया जा सके.
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