टीचिंग से रिजाइन देकर बने राम मंदिर के मुख्य पुजारी, 33 साल पहले 100 रुपये सैलरी; आचार्य सत्येंद्र दास की कहानी

आचार्य सत्येंद्र दास बाबरी मस्जिद विध्वंस से ठीक पहले राम मंदिर के मुख्य पुजारी बने थे. उन्हें उस वक्त महज 100 रुपये मिलते थे. राम मंदिर के मुख्य पुजारी की कहानी.

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Jalaj Kumar Mishra
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Ram Mandir Mukhya Pujari Acharya Satyendra Das story in hindi

Acharya Satyendra Das

Acharya Satendra Das: अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन हो गया. 85 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांसें लीं. वे लखनऊ के पीजेआई में भरती थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान राम की सेवा में लगा दिया. पिछले 33 वर्षों से वे राम मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कार्यरत थे. 

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1992 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान, आचार्य सत्येंद्र दास को राम जन्म भूमि का मुख्य पुजारी बनाया गया था. इसके बाद से अब तक वे रामलला की सेवा कर रहे थे. मुख्य पुजारी के रूप में उन्हें हर माह 38 हजार रुपये दिए जाते थे. टेंट से भव्य राम मंदिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक के हर एक पल के वे साक्षी रहे. अंतिम सांसों तक वे रामलला की सेवा करते रहे. 

संस्कृत की डिग्री हासिल की

1975 में आचार्य सत्येंद्र दास ने संस्कृत में आचार्य की डिग्री हासिल की थी. 1992 में शिक्षक का पद छोड़कर उन्होंने राम मंदिर के मुख्य पुजारी का पदभार संभाला. उन्हें उस वक्त महज 100 रुपये वेतन के रूप में मिलते थे. हालांकि, समय के साथ-साथ उनका वेतन भी बढ़ता गया. वर्तमान में उन्हें 38 हजार रुपये वेतन के रूप में मिलते थे. 

सैलरी के बारे में क्या बोले सत्येंद्र दास

आचार्य सत्येंद्र दास ने एक बार अपने वेतन के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि हमको पहले 15,520 रुपये मिलते थे. बाद में इसे बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया. इसके बार पिछले साल सितंबर में उनकी सैलरी 38 हजार कर दी गई. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के सहायक पुजारियों की सैलरी भी 20 हजार से बढ़ाकर 33 हजार की गई. सहायकों के वेतन को 24,400 रुपये कर दिया गया. 

राम मदिंर ट्रस्ट की तारीफ

उन्होंने कहा था कि 28 वर्ष हमने ऋषियों के रूप में काटे हैं. हमको उस वक्त ज्यादा कुछ नहीं मिलता था. हालांकि, जब से ट्रस्ट आया, तब से उन्हें जो सुविधाएं मिलने लगी हैं, हम उसकी प्रशंसा करते हैं.   

बाबरी घटना से 9 महीने पहले बने थे पुजारी

आचार्य को 1992 में बाबरी विध्वंस से पहले ठीक नौ पहले ही राम मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया था. वे तब से रामलला की सेवा करते आ रहे हैं. एक बार उन्होंने कहा था कि पता नहीं मैं कब तक रामलला की सेवा कर पाऊंगा. हालांकि, उन्होंने अपनी अंतिम सांसों तक प्रभु की सेवा की. 

 

 

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