विकास दुबे का मरने के बाद भी नहीं हुआ खौफ कम, गैंगस्टर के खिलाफ FIR कराने वाला लापता
राहुल की एफआईआर पर ही पुलिस टीम विकास को पकड़ने बिकरू गांव गई थी. राहुल तिवारी के गायब होने की सूचना पर जिला प्रशासन में हड़कंप मचा है.
नई दिल्ली:
2-3 जुलाई की दरमियानी रात दबिश डालने गई पुलिस टीम के 8 सदस्यों को गोलियों से भून देने वाले खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद इस पूरे मामले में एक नया मोड़ आ गया है. बताते हैं कि जिस शिकायत पर पुलिस (UP Police) विकास दुबे के घर दबिश डालने गई थी, वही शख्स राहुल तिवारी लापता है. राहुल की एफआईआर पर ही पुलिस टीम विकास को पकड़ने बिकरू गांव गई थी. राहुल तिवारी के गायब होने की सूचना पर जिला प्रशासन में हड़कंप मचा है.
राहुल की जान को गंभीर खतरा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गैंगस्टर विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले राहुल तिवारी के परिवार का कहना है कि वह लापता है. पुलिस भी मानती है कि राहुल तिवारी शिकायतकर्ता होने के अलावा उन घटनाओं से जुड़े मामले का प्रमुख गवाह है, जिनके कारण यह घटना हुई. कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने कहा कि राहुल की जान को भी गंभीर खतरा है. डिप्टी एसपी सुकर्म प्रकाश के नेतृत्व में एक टीम उसकी तलाश कर रही है.
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2 जुलाई से है लापता
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल तिवारी की मां सुमन देवी ने बताया कि राहुल ने आखिरी बार उनसे 2 जुलाई की रात को बात की थी. उसने फोन पर डरी हुई आवाज में बात की, इसके बाद अपनी पत्नी, बच्चों और भाभी के साथ गायब हो गया. पुलिस की जांच के अनुसार बिकरू से सटे जडेपुर निवाड़ा गांव में रहने वाले राहुल तिवारी, मोनिका निवाड़ा गांव में अपनी ससुराल से संबंधित ज़मीन का निपटान करना चाहते थे, जो आसपास के इलाके में भी स्थित है. उनकी पत्नी की बहनों ने प्रस्तावित बिक्री का विरोध किया. उनमें से एक (जो बिकरू में रहता है) पक्ष ने मामले में विकास दुबे के हस्तक्षेप की मांग की. पुलिस जांच के अनुसार, राहुल तिवारी को 1 जुलाई को दुबे द्वारा सार्वजनिक रूप से धमकी दी गई और पीटा गया.
डीएसपी के हस्तक्षेप से एफआईआर
पुलिस के अनुसार, चौबेपुर थाना प्रभारी ने शिकायत दर्ज करने के बजाय राहुल तिवारी को जाने के लिए कहा और दुबे से सुलह के नसीहत दी. इस घटना के बाद 2 जुलाई की शाम को बिल्हौर सर्कल अधिकारी, डीएसपी देवेंद्र मिश्रा के हस्तक्षेप पर एफआईआर दर्ज की गई थी. कुछ घंटे बाद मिश्रा ने एक टीम को इकट्ठा किया, जिसमें तीन पुलिस स्टेशन के अधिकारियों सहित 25 पुलिसकर्मी शामिल थे. फिर बिकरू पर छापा मारा गया, जहां गैंगस्टर और उसके लोगों ने पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला किया और उनमें से 8 को मार डाला. गोलीबारी में पांच पुलिसकर्मी, एक होमगार्ड और एक नागरिक घायल हो गए.
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