यूपी में नए डीजीपी की कवायद शुरू, अब तक ऐसा रहा है मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल

उत्तर प्रदेश में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के लिए कवायद शुरू हो गई है. वर्तमान में यूपी के डीजीपी ओमप्रकाश सिंह (ओपी सिंह) का कार्यकाल 31 जनवरी 2020 को समाप्त हो रहा है.

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Dalchand Kumar
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यूपी में नए डीजीपी की कवायद शुरू, अब तक ऐसा रहा है मौजूदा डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल

डीजीपी ओपी सिंह( Photo Credit : फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के लिए कवायद शुरू हो गई है. वर्तमान में यूपी के डीजीपी ओमप्रकाश सिंह (ओपी सिंह) का कार्यकाल 31 जनवरी 2020 को समाप्त हो रहा है. बतौर डीजीपी उनका ढाई साल का था, जो जनवरी में पूरा हो जाएगा. इस बार यूपी में नए डीजीपी का सेलेक्शन यूपीएससी द्वारा किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश सरकार को 3 महीने पहले 3-5 आईपीएस अधिकारियों का पैनल आयोग को भेजना होगा. राज्य के नए डीजीपी के लिए हितेश अवस्थी, जेएल त्रिपाठी, सुजानवीर सिंह समेत केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कुछ अफसरों के नाम को लेकर चर्चा है.

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ओम प्रकाश सिंह का जन्म 2 जनवरी 1960 को हुआ था. वो उत्तर प्रदेश कैडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्हें सुलखान सिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद उत्तर प्रदेश का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया था. वरिष्ठता में ओपी सिंह सबसे लंबे कार्यकाल वाले 7वें नंबर पर हैं. इससे पहले वो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में डीजी के पद पर थे. इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक के रूप में भी वो कार्य कर चुके हैं.

गौरतलब है कि यूपी के पुलिस महानिदेशक का पदभार संभालने के बाद ही ओमप्रकाश सिंह ने राज्य में अपराध को कम करने के लिए कई सख्त कदम उठाए. उनके ही निर्देश पर उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ कई तरह के ऑपरेशन चलाए गए, जिनमें 'जीरो टॉलरेंस नीति', 'ऑपरेशन रोमियो' और 'ऑपरेशन क्लीन' शामिल हैं. उनके कार्यकाल में तीन हजार के करीब एनकाउंटर हुए हैं, जिनमें 70 से ज्यादा अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया, मुठभेड़ में करीब 850 घायल हुए और 7 हजार से ज्यादा को गिरफ्तार किया गया.

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डीजीपी ओमप्रकाश सिंह के कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के अंदर कोई भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ, जो उनके लिए बड़ी सफलता है. हालांकि लेकिन उनके सामने कुछ चुनौतियां भी आईं, जब अपराधियों ने कई बड़ी वारदात को अंजाम दिया, जिनमें हाल में हुए सोनभद्र नरसंहार, कमलेश तिवारी हत्याकांड, मॉब लिंचिंग जैसी घटनाए हैं.

हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने भी वर्ष 2017 के आपराधिक आंकड़े जारी किए थे. इनके मुताबिक, उत्तर प्रदेश में साल 2017 में सबसे ज्यादा अपराध हुए. पूरे देश में हुए अपराधों में से सबसे ज्यादा 10.1 फीसदी अपराध यूपी में हुए. इसी साल देश में होने वाली सबसे ज्यादा हत्याएं और सबसे ज्यादा जघन्य अपराध उत्तर प्रदेश में हुए. सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं, दहेज हत्याएं और अपहरण के मामले भी उत्तर प्रदेश आगे रहा. दुष्कर्म और दंगों के मामले में भी राज्य देश में दूसरे नंबर पर रहा.

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आंकड़ों पर गौर करें तो लूट के मामलों में उत्तर प्रदेश 16वें स्थान पर (क्राइम रेट 1.8), हत्या के मामलों में 22वें स्थान पर (क्राइम रेट 1.9), नकबजनी के मामलों में 31वें स्थान पर (क्राइम रेट 4.2), दुष्कर्म के मामलों में 22वें स्थान पर (क्राइम रेट 4.0) हैं. एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया-2017 के अनुसार देश में कुल 30,62,579 आई.पी.सी. के अपराध पंजीकृत हुए, जिनमें से 3,10,084 आई.पी.सी. के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए, जो कि देश में ऐसे पंजीकृत अपराधों का 10.1 प्रतिशत है, जबकि जनसंख्या के आधार पर उत्तर प्रदेश की आबादी देश की आबादी का 17.65 प्रतिशत है.

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