प्रियंका गांधी का गंभीर आरोप, बोलीं- उत्तर पुलिस ने गला दबाकर रोका, धक्का देने से नीचे गिर गई

आरोप है कि महिला पुलिस अधिकारी ने उन्हें रोका था. उन्हें कहा कि पुलिस ने गला दबाकर मुझे रोका, ना केवल रोका गया, बल्कि मेरा गला दबाया गया.

आरोप है कि महिला पुलिस अधिकारी ने उन्हें रोका था. उन्हें कहा कि पुलिस ने गला दबाकर मुझे रोका, ना केवल रोका गया, बल्कि मेरा गला दबाया गया.

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Sushil Kumar
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Priyanka Gandhi

प्रियंका गांधी( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ में पूर्व आईएएस अधिकारी एसआर दारापुरी के परिवारों से मिलने उनके घर जा रही थी. लेकिन प्रियंका गांधी ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया. उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें गला दबाकर रोकने की कोशिश की गई. आरोप है कि महिला पुलिस अधिकारी ने उन्हें रोका था. उन्हें पुलिस ने गला दबाकर मुझे रोका, ना केवल रोका गया, बल्कि मेरा गला दबाया गया. मुझे पकड़कर धकेला दिया जिसकी वजह से मैं गिर गई.

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यह घटना लखनऊ के लोहिया पार्क के पास की है. प्रियंका गांधी ने कहा कि वो पैदल चलने लगी तो पुलिस ने उन्हें रोका. इसके बाद वे कार्यकर्ता की स्कूटी पर सवार होकर एसआर दारापुरी के घर पहुंची. उन्होंने कहा कि पुलिस ने मुझे और मेरी गाड़ी को बेवजह रोका. वहीं इस दौरान लखनऊ की सड़कों पर प्रियंका वर्सेस पुलिस देखने को मिला. लखनऊ में प्रियंका के साथ पुलिस ने बदसलूकी की है. वहीं इससे आहत कांग्रेस सांसद अधीररंजन चौधरी ने कहा कि यह घटना बताती है कि योगी राज में मार्शल लॉ चल रहा है.

मेरठ के अफसरों के विवादित बोल का वीडियो किया जारी

पुलिस ने रास्ते में रोक दिया. पुलिस ने पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी को पुलिस ने 19 दिसंबर को गिरफ्तार किया था. प्रियंका गांधी शनिवार को दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंची थी. इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने शनिवार को मेरठ के अफसरों के विवादित बोल का वीडियो जारी करके भाजपा पर हमला बोला था. उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश में सांप्रदायिकता का जहर इस कदर घोला है कि अफसरों में संविधान की कसम की कोई कद्र ही नहीं है.

किसी भी नागरिक के साथ इस भाषा के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता- प्रियंका

प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि भारत का संविधान किसी भी नागरिक के साथ इस भाषा के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देता और जब आप अहम पद पर बैठे अधिकारी हैं तब तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. भाजपा ने संस्थाओं में इस कदर सांप्रदायिकता का जहर घोला है कि आज अफसरों को संविधान की कसम की कोई कद्र ही नहीं है. गौरतलब है कि नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) को लेकर 20 दिसंबर को मेरठ शहर में हुए उपद्रव के बाद सोशल मीडिया पर एक अफसर का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह अटपटे बोल बोलते हुए दिख रहे हैं. वीडियो एक मिनट 43 सेकेंड का है. अफसर के हाथ में डंडा और हेलमेट है. प्रोटेक्टर जैकेट पहनकर गली में जाते दिखाई पड़ रहे हैं. वह मोबाइल से वीडियो बनाते हुए गली में वापस मुड़ते हैं. एक समुदाय के लोगों से कहते हैं कि जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है.

Source : News Nation Bureau

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