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उत्तर प्रदेश की सलाहकार परिषद से सुझाव लेंगी प्रियंका गांधी, बुलाई बैठक

प्रियंका गांधी राज्य की प्रभारी महासचिव हैं. बैठक का मुख्य एजेंडा आम जनता से फिर से जुड़ाव स्थापित करना होगा.

Updated on: 04 Nov 2019, 07:46 AM

लखनऊ:

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी के प्रस्तावित 10 दिवसीय विरोध प्रदर्शन पर सलाह लेने के लिए उत्तर प्रदेश की सलाहकार परिषद की सोमवार को एक बैठक बुलाई है. प्रियंका राज्य की प्रभारी महासचिव हैं. बैठक का मुख्य एजेंडा आम जनता से फिर से जुड़ाव स्थापित करना होगा. बैठक 4 नवंबर को सुबह 11 बजे होगी और उसमें आर्थिक मंदी और डीएचएफएल मामला, व्हाट्सएप जासूसी और अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होगी. बता दें कि कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई ने हाल ही में सलमान खुर्शीद, मोहसिना किदवई, राजेश मिश्रा और प्रमोद तिवारी जैसे नेताओं को सलाहकार परिषद में शामिल किया था.

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इसके अलावा कांग्रेस ने डिजिटल सदस्यता अभियान चलाने का प्रशिक्षण दिलाने के लिए दो राज्यों- छत्तीसगढ़ व गोवा के जिला पदाधिकारियों और उत्तर प्रदेश के दो जिलों के पार्टी पदाधिकारियों को बुलाया है. रविवार को पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगापाल ने आंतरिक परिपत्र (सर्कुलर) जाारी किया. उन्होंने कहा कि बैठक 4 नवंबर को गुरुद्वारा रकाबगंज मार्ग स्थित पार्टी के वार रूम में होगी. यह बैठक पहले 2 नवंबर को होने वाली थी. कांग्रेस ने एक एप विकसित किया है, जिसके जरिये 5 करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है. पार्टी ने कहा कि वह डिजिटल सदस्यता अभियान शुरू करने से पहले कार्यकर्ताओं के साथ विमर्श करेगी और उन्हें प्रशिक्षण दिलाएगी.

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उधर, कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए प्रियंका गांधी को जासूसी का निशाना बनाया गया था. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बीजेपी को 'जासूस पार्टी' करार देते हुए आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी इस जासूसी से पूरी तरह वाकिफ है. सुरजेवाला ने दावा किया कि फोन हैक करने में जासूस पेगासस का इस्तेमाल कर कांग्रेस पर सामने से वार किया गया और राजनेताओं, पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार के पैरोकारों की जासूसी की गई. उन्होंने कहा कि सर्विलांस सॉफ्टवेयर 'पेगासस' के जरिये सेल फोनों की अवैध व असंवैधानिक हैकिंग के बीजेपी सरकार के षड्यंत्र और सांठगांठ की परतें हर दिन उधड़ रही हैं. 'कानून का राज' और 'गोपनीयता का मौलिक अधिकार' मोदी सरकार में मजाक बनकर रह गए हैं.

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