Poverty Data: SBI ने ग्राहक खर्च सर्वे के आधार पर किया दावा, क्या यूपी और बिहार में तेजी से घट रही गरीबी?

SBI ने आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि लोक कल्याण से जुड़ी सरकारी योजनाओं ने लोगों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में सुधार लाया है. SBI ने ग्राहक खर्च सर्वे (Consumer Expenditure Survey) के आधार पर ऐसा दावा किया है. 

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Mohit Saxena
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Poverty Data

Poverty Data( Photo Credit : social media)

Poverty Data: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट में भारत में गरीबी घटने को लेकर ग्रामीण-शहरी इलाकों में सर्वे किया गया है. सर्वे में आय के अंतर में भी कमी आने दवा है. SBI की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 5 सालों में देश के अंदर असमानता में कमी देखी गई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 के बाद ग्रामीण गरीबी में 440 बेसिस प्वाइंट्स की गिरावट आई है. वहीं कोरोना महामारी के बाद शहरी गरीबी में 170 बेसिस प्वाइंट्स की कमी देखने को मिली है. SBI ने इन आंकड़ों के आधार पर ऐसा दावा किया है. लोक कल्याण से जुड़ी सरकारी योजनाओं ने लोगों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में सुधार किया है. SBI ने ग्राहक खर्च सर्वे (Consumer Expenditure Survey) के आधार पर ऐसा दावा किया है. आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण गरीबी 2011-12 के 25.7 फीसदी के मुकाबले घटकर अब 7.2 प्रतिश तक पहुंच गई है. 

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वहीं शहरी गरीबी 2011-12 के 13.7 फीसदी के मुकाबले घटकर 4.6 प्रतिशत रह गई है. इसके आधार पर ऐसा दावा किया गया है कि भारत में अब गरीबी दर घटकर साढ़े 4 से 5 प्रतिशत तक पहुंच गई है. 

बीमारू राज्यों से बाहर निकले यूपी और बिहार 

SBI की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अब पेय पदार्थ, मनोरंजन, कंज्यमूर ड्यूरेबल्स पर दबाकर खर्च कर रहे हैं. गरीबी दर में कमी होने की बड़ी वजह उन राज्यों का बेहतरीन प्रदर्शन है. रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में गरीबी कम हुई है. इसे पाने में बड़ी सफलता हासिल हुई है. इन राज्यों में ग्रामीण गरीबी सबसे ज्यादा थी. ये अब तेजी से घट रही है. इन आंकड़ों  में सुधार बताता है कि रिटेल महंगाई दर की गणना में अब MPCE की भागीदारी में बदलाव देखा गया है. इससे नई गणना में 2023-24 में विकास दर साढ़े सात फीसदी तक पहुंची. 

शहरी लोगों से अधिक ग्रामीणों की महत्वकांक्षा!

इस रिपोर्ट के अनुसार, शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में लोगों की महत्वकांक्षाओं में बढ़ोतरी हुई है.  इससे ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति शख्स का खर्च का अंतर अब 71.2 प्रतिशत रह गया है. ये 2009-10 में 88.2 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया था. ग्रामीण MPCE का लगभग 30 प्रतिशत सरकार डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, किसानों की आय में बढ़ोतरी के साथ ग्रामीण रोजगार में सुधार के लिए होता है. 

Source : News Nation Bureau

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