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उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों के बीच छिड़ा पोस्टर वार, पढ़ें पूरी खबर

राजनीतिक पार्टियों के बीच पोस्टर वार जारी है. भाजपा ने ट्वीट के जरिए विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा है. उत्तर प्रदेश भाजपा ने अपने ऑफिसियल ट्विटर एकाउंट से एक वीडियो जारी कर अखिलेश यादव पर हमला बोला है.

Updated on: 02 Sep 2021, 11:23 PM

highlights

  • उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पार्टियों के बीच छिड़ा पोस्टर वार, पढ़ें पूरी खबर 
  • भाजपा ने ट्वीट कर समाजवादी पार्टी पर साधा निशाना

 

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा का चुनाव होना है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के बीच पोस्टर वार जारी है. भाजपा ने ट्वीट के जरिए विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा है. उत्तर प्रदेश भाजपा ने अपने ऑफिसियल ट्विटर एकाउंट से एक वीडियो जारी कर अखिलेश यादव पर निशाना साधा है. भाजपा की इस ट्वीट ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है. उत्तर प्रदेश भाजपा ने ट्वीट कर सपा सरकार में हुए दंगो का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोला है. भाजपा ने इस ट्वीट के माध्यम से ये जताने की कोशिश की है कि जब से उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार बनी है उस वक्त से उत्तर प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ है . 

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मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे में करीब 62 लोगों की मौत हुई थी

बता दें कि उत्तर प्रदेश भाजपा के द्वारा जारी किए गए वीडियो में एक झलक मुजफ्फरनगर दंगे की भी दिखाई गई है. गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव से कुछ माह पहले अगस्त और सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगे में करीब 62 लोगों की मौत हुई थी और 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे. बता दें कि 7 सितंबर 2013 को मुजफ्फरनगर जिले के लिसाढ गांव में दंगों के दौरान भीड़ ने कई घरों में आग लगा दी थी और वहां लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया था. गांव निवासी मोहम्मद सुलेमान ने 16 सितंबर को फुगाना थाने में दर्ज कराई गई थी. उसने गांव के ही नरेंद्र उर्फ लाला, धर्मेंद्र उर्फ काला, बिजेंद्र, राजेंद्र, अनुज, अमित, ब्रह्म, सुरेंद्र, कृष्णा, निशु, शोकेंद्र, बिट्टू उर्फ अरुण के खिलाफ आगजनी और डकैती की शिकायत दी थी.

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बता दें कि इस मामले में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 12 आरोपियों को बरी कर दिया . मामले में अभियोजन की ओर से पेश किए गए तीन गवाह अपने बयान से पलट गए. जिसके बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार तिवारी ने सभा आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 395 (डकैती) और 436 (आगजनी) के आरोपों से बरी कर दिया.