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विश्व जनसंख्या दिवस पर यूपी में जनसंख्या नियंत्रण बिल

देश की आज़ादी के बाद किसी भी राजनैतिक दल ने “वोट- बैंक” की राजनीति के कारण ,इस विषय पर क़ानून बनाने का प्रयास ही नहीं किया

Updated on: 11 Jul 2021, 08:11 PM

highlights

  • जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने वाला पहला राज्य बना उत्तर प्रदेश
  • संविधान में प्रत्येक राज्य को जनसंख्या नियंत्रण पर क़ानून बनाने का अधिकार
  • जनसंख्या नियंत्रण बिल अंतर्गत सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझा

उत्तर प्रदेश:

विश्व जनसंख्या दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसंख्या नियंत्रण बिल लाये है. उत्तर प्रदेश, देश का पहला राज्य है, जहां “जनसंख्या विस्फोट” की भयावह समस्या के निदान का प्रयास हो रहा है. संविधान में प्रत्येक राज्य को जनसंख्या नियंत्रण पर क़ानून बनाने का अधिकार है, परंतु देश की आज़ादी के बाद किसी भी राजनैतिक दल ने “वोट- बैंक” की राजनीति के कारण ,इस विषय पर क़ानून बनाने का प्रयास ही नहीं किया. रुस,कनाडा, अमेरिका चीन भारत से तीन गुना बड़े है, परंतु उनकी आबादी क्रमशः 15,04,33,144 है. ब्राज़ील और आस्ट्रेलिया भारत से 2.5 गुना बड़े है और उनकी आबादी क्रमशः 22,और 2.5 करोड़ है और भारत की 135 करोड़ है, जो बेतहासा बढ़ रही है. 

भारत की आबादी प्रतिवर्ष लगभग 85 लाख बढ़ रही है. भारत के पास दुनिया का 2.4% ज़मीन,4% पानी और 18% आबादी है, जो बेतहासा बढ़ रही है. मात्र कुछ सालों में देश की आबादी चीन से भी अधिक हो जायेगी. जनसंख्या विस्फोट ही, बेरोज़गारी, ग़रीबी, क़ानून- व्यवस्था, असंतोष, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या, घर, पेय जल, “वायु, जल , ध्वनि , मृदा प्रदूषण”और बढ़ते अपराध के मुख्य कारक है. देश में आधी से अधिक समस्या का कारण जन- संख्या विस्फोट है, जिसे नियंत्रित करना ही होगा, जो बिना क़ानून बनाये सम्भव ही नहीं है. देश की संसद को जनसंख्या नियंत्रण हेतु शीघ्र क़ानून बनाना चाहिये, साथ ही साथ “ कामन सिवल कोड” भी लागू होना चाहिये.

बता दे कि मुख्यमंत्री योगी के नई जनसंख्या नियंत्रण नीति में अगर परिवार के अभिभावक सरकारी नौकरी में हैं और नसबंदी करवाते हैं तो उन्हेंं अतिरिक्त इंक्रीमेंट, प्रमोशन, सरकारी आवासीय योजनाओं में छूट, पीएफ में एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन बढ़ाने जैसी कई सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है. दो बच्चों वाले दंपत्ति अगर सरकारी नौकरी में नहीं हैं तो उन्हेंं पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन में छूट व अन्य सुविधाएं देने का प्रस्ताव है. एक संतान पर खुद से नसबंदी कराने वाले हर अभिभावकों को संतान के 20 वर्ष तक मुफ्त इलाज, शिक्षा, बीमा शिक्षण संस्था व सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की सिफारिश है. इसके अंतर्गत सरकारी नौकरी वाले दंपती को चार अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का सुझाव है. अगर दंपती गरीबी रेखा के नीचे हैं और एक संतान के बाद ही स्वैच्छिक नसबंदी करवाते हैं तो उनके बेटे के लिए उसे 80 हजार और बेटी के लिए एक लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश है.