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उत्तर प्रदेश : पंचायत चुनाव के जरिए राजनीतिक दल अपनी हैसियत का करेंगे आकलन

उत्तर प्रदेश का पंचायत चुनाव इस बार मिनी विधानसभा के तौर पर देखा जाता है. इसी कारण सभी पार्टियां अपने तरीके से लगी हैं.

Updated on: 30 Mar 2021, 02:22 PM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश का पंचायत चुनाव इस बार मिनी विधानसभा के तौर पर देखा जाता है. इसी कारण सभी पार्टियां अपने तरीके से लगी हैं. कोशिश है कि इसमें ज्यादा से ज्यादा सफलता पाकर 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए जनता को एक बड़ा संदेश दे सके. इस चुनाव के माध्यम से सभी दल विधानसभा चुनाव में हैसियत का आकलन करने में लगी है. सत्तारूढ़ दल भाजपा पंचायत चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय है. पार्टी ने पंचायत चुनाव की तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर दी थी. पार्टी ने मंडल से लेकर पंचायत स्तर तक कई बैठकें कर पदाधिकारियों को जनता के बीच सरकार के कार्यों को पहुंचाने की जिम्मेदारी दी है. राज्य का नेतृत्व बूथ लेवल से लेकर हर स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ कई बार बैठकें कर चुका है.

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प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से लेकर संगठन के महामंत्री सुनील बंसल पार्टी को जीत का मंत्र दे चुके हैं. इसके लिए हर जिले में प्रभारी बनाए गये हैं, जो फीडबैक ले रहे हैं. पंचायत चुनाव में वार्ड स्तर पर हर मतदाता से व्यक्तिगत सम्पर्क कर मोदी-योगी सरकार की उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाने का काम हो रहा है. प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन का कोई फर्क चुनाव में न पड़े इसके लिए विशेष रूप से किसान संबधित कार्यक्रम ब्लॉक स्तर पर चलाए जा रहे हैं.

समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल मान कर देख रही है. इस कारण वह पूरे दमखम से मैदान में उतर रही है. सपा मुखिया अखिलेश यादव चुनाव को गंभीर ढंग से लड़ने का पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को निर्देश दे चुके हैं. इसी को देखते हुए वह पूरब से लेकर पश्चिम तक दौरा कर रहे हैं. इस दौरान वह मंदिर-मंदिर जाने के अलावा वह भाजपा से नाराज चल रहे किसानों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं. पंचायत चुनाव के लिए उम्मीदवार का चयन का काम जिलाध्यक्षों को सौंपा गया है. वहीं, चुनाव के लिए संयोजक भी बने हैं. जिला संयोजक दावेदारों के आवेदन पर विचार किया जा रहा है. पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि पंचायत चुनाव को पूरे-दम खम के साथ लड़ा जाएगा.

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पंचायत चुनावों को लेकर बसपा भी अपनी बिसात बिछा रही है. चुनाव को देखते हुए मायावती इन दिनों लखनऊ पर डेरा जमाए हुए हैं. विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग कर रहे लोगों को पंचायत चुनाव में बेहतर परिणाम लाने के निर्देश दिए हैं. मंडलवार बैठक कर पंचायत चुनाव की जिम्मेदारी तय कर दी गयी है. प्रत्याशी चुनने की जिम्मेदारी बसपा ने मुख्य जोन इंचार्जो को सौंपी है. इन चुनावों को लेकर बसपा गंभीर है. मायावती ने साफ किया है कि विधानसभा चुनाव में टिकट पंचायत चुनाव के परफॉरमेंस के आधार पर ही दिया जाएगा.

कांग्रेस पंचायत चुनाव के जरिए अपनी खोई जमीन पाने के प्रयास में है. पार्टी पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्यों पर दांव लगाएगी. इसके लिए बैठकों का दौर जारी है. जिले में संगठन के पदाधिकारियों को मजबूत प्रत्याशी तलाशने को कहा गया है. आम आदमी पार्टी (आप) भी पहली बार यूपी पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने जा रही है. विधानसभा चुनाव से पहले वह अपनी तैयारियों को परखना चाहती है. पार्टी ने कुछ प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी किया है. पार्टी के नेता चुनाव को देखते हुए सरकार को घेरने में लगे हैं.

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वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेशक प्रसून पांडेय का कहना है कि पंचायत चुनाव हर पार्टी के लिए परीक्षा है. इसी कारण राज्य की प्रमुख सियासी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस बार का पंचायत चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी मैदान में हैं. सभी दलों की कोशिश है कि वह 2022 से पहले पंचायत चुनाव में अच्छा परिणाम लकार जनता के बीच बड़ा संदेश दें.