पुलिस फोर्स को दाढ़ी रखने का संवैधानिक अधिकार नहीं, अनुशासन प्राथमिकता

सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी द्वारा दाढ़ी रखने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. मालूम हो कि पुलिसकर्मी को दाढ़ी न रखने के आदेश की अवहेलना करने पर निलंबित कर दिया गया. जिसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी द्वारा दाढ़ी रखने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. मालूम हो कि पुलिसकर्मी को दाढ़ी न रखने के आदेश की अवहेलना करने पर निलंबित कर दिया गया. जिसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

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rajneesh pandey
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Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाढ़ी रखने के मामले पर फैसला सुनाया( Photo Credit : News Nation)

सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी द्वारा दाढ़ी रखने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. मालूम हो कि पुलिसकर्मी को दाढ़ी न रखने के आदेश की अवहेलना करने की वजह से निलंबित कर दिया गया था. जिसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. कोर्ट ने कहा कि पुलिस फोर्स को अनुशासित होना ही चाहिए. साथ ही लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी होने के नाते इसकी छवि सेक्यूलर होनी चाहिए. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया. मिली जानकारी के अनुसार, डीजीपी की ओर से पुलिस फोर्स में दाढ़ी न रखने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया गया था. अयोध्या के खंडासा में तैनात सिपाही मोहम्मद फरमान को इस आदेश का पालन नहीं करने पर निलंबित कर दिया गया था और चार्जशीट भी जारी कर दी गई थी. सिपाही फरमान ने निलंबन और चार्जशीट को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पुलिस फोर्स में रहते हुए दाढ़ी रखना संवैधानिक अधिकार नहीं है. साथ ही कोर्ट ने डीजीपी द्वारा किये गये मोहम्मद फरमान के निलंबन और चार्जशीट में हस्तक्षेप करने से भी मना कर दिया.

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आखिर क्यों दर्ज की गई थी याचिका?

26 अक्टूबर, 2020 को डीजीपी की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया था. जिसके अनुसार, पुलिस फोर्स में तैनात कर्मियों को दाढ़ी रखने की अनुमति नहीं थी. मोहम्मद फरमान ने डीजीपी की ओर से जारी इस आदेश का उलंघन किया, जिसके बाद फरमान को निलंबित कर दिया गया और साथ ही उसके खिलाफ चार्जशीट भी जारी कर दी गई. इसी निलंबन और चार्जशीट को चुनौती देते हुए सिपाही मोहम्मद फरमान ने इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर की थी और दाढ़ी रखने का कारण भी बताया था. इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद याचिका को खारिज करते हुए निलंबन और विभाग की ओर से की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया.

सिपाही ने बताया दाढ़ी रखने का कारण

याचिकाकर्ता मोहम्मद फरमान ने अपनी याचिका में कहा था कि वह संविधान की ओर से मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत इस्लाम के सिद्धांतों के आधार पर दाढ़ी रख रहा है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि 26 अक्टूबर 2020 को डीजीपी की ओर से जारी सर्कुलर एक कार्यकारी आदेश है जो पुलिस में अनुशासन बनाए रखने के लिए जारी किया गया है. पुलिस फोर्स को अनुशासित होना ही चाहिए और लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी होने के चलते इसकी छवि सेक्यूलर होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अपने एसएचओ की चेतावनी के बावजूद भी याचिकाकर्ता ने दाढ़ी न कटवा कर फरमान ने उस अनुशासन को तोड़ा है.

HIGHLIGHTS

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की सिपाही की याचिका
  • याचिका में की गई थी इस्लाम के अनुसार दाढ़ी रखने की मांग
  • डीजीपी ने जारी किया था दाढ़ी न रखने का सर्कुलर
allahabad high court Beard in police department
      
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