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PM मोदी ने मन की बात में जेल में बनाये जा रहे काउकोट की चर्चा की, सीएम ने किया धन्यवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’कार्यक्रम में कौशाम्बी की जेल में ठंड से गायों को बचाने के लिए पुराने कंबलों से बनाए जा रहे काउ कोट की चर्चा की, जिस पर सीएम योगी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया.

Updated on: 27 Dec 2020, 07:05 PM

लखनऊ :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’कार्यक्रम में कौशाम्बी की जेल में ठंड से गायों को बचाने के लिए पुराने कंबलों से बनाए जा रहे काउ कोट की चर्चा की, जिस पर सीएम योगी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनना दिव्य अनुभूति प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि गो माता को ठंड से बचाने के लिए कौशांबी जेल के कैदियों द्वारा तैयार किए जा रहे कवरों की चर्चा से अनेक लोग प्रेरित होंगे.

पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि कुछ इसी प्रकार के नेक प्रयास, उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में भी किए जा रहे हैं. वहां जेल में बंद कैदी, गायों को ठंड से बचाने के लिए, पुराने और फटे कंबलों से कवर बना रहे हैं. इन कंबलों को कौशाम्बी समेत दूसरे जिलों की जेलों से एकत्र किया जाता है. कौशाम्बी जेल के कैदी हर सप्ताह अनेकों कवर तैयार कर रहे हैं. आइए, दूसरों की देखभाल के लिए सेवा भाव से भरे इस प्रकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करें. यह वास्तव में एक ऐसा सत्कार्य है, जो समाज की संवेदनाओं को सशक्त करता है.

डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में जेलों में कई नवाचार किए गए हैं. उन्होंने बताया कि वाराणसी, सीतापुर और आगरा सहित कई जेलों में गोशालाएं संचालित हो रही हैं. इसके अलावा उरई, बाराबंकी, लखीमपुर और कानपुर देहात में चल रहे गोशालाओं में बंदियों को गो सेवा से जोड़ने के लिए योजना बनाई जा रही है, जिसे जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा.

100 नग काऊ कोट दिए प्रशासन को

कौशांबी जेल के अधीक्षक बीएस मुकुंद ने बताया कि काऊ कोट के निर्माण के लिए उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेरणा मिली थी. सीएम योगी ने निराश्रित गायों के लिए आह्वान किया था. उसी सोच के आधार पर फटे पुराने कंबलों को सिलकर बुनकर कैदियों ने तैयार किया है. काऊ कोट की मजबूती और सुंदरता के लिए बाहर से प्लास्टिक खरीदकर उसमें लगवाई जाती है, जिसमें करीब 110 से 115 रुपए का खर्च आता है. हमने जिला प्रशासन को सौ नग काऊ कोट सौंपा है.

15 जेलों की गोशालाओं में 835 गोवंश

वर्तमान में प्रदेश की 15 जेलों केंद्रीय कारागार बरेली, केंद्रीय कारागार नैनी, जिला कारागार बाराबंकी, केंद्रीय कारागार फतेहगढ़, आदर्श कारागार लखनऊ, जिला कारागार बरेली, जिला कारागार उन्नाव, केंद्रीय कारागार आगरा, केंद्रीय कारागार वाराणसी, जिला कारागार सुल्तानपुर, जिला कारागार सीतापुर, जिला कारागार आगरा, जिला कारागार कासगंज, जिला कारागार चित्रकूट और जिला कारागार आजमगढ़ में गौशालाएं संचालित हैं. इनमें कुल 835 गोवंश हैं. इन गोशालाओं में दुग्ध उत्पादन और इनके गोबर से कृषि कार्य के लिए कंपोस्ट खाद निर्माण किया जाता है. ये सभी गोशालाएं बंदियों की सेवा और उनके द्वारा संचालित सोसाइटी के अधीन कार्य कर रही हैं. इनसे उत्पादित दूध कारागार में बंदियों के उपयोग में लिया जा रहा है.