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शहीदों और अजन्मी बेटियों के लिए महिलाओं ने किया पिंडदान

कानपुर में पितृपक्ष के दौरान महिलाओं ने अजन्मी बेटियों, अपने पूर्वजों और देश के शहीदों के लिए महातर्पण किया और बेटियों को बचाने के लिए संदेश दिया।

Updated on: 18 Sep 2016, 10:25 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में कानपुर के सरसैय्या घाट पर रविवार को 36 से अधिक महिलाओं ने वैदिक रीति रिवाज के अनुसार अजन्मी बेटियों, अपने पूर्वजों और शहीदों के लिए पिंड अर्पित किए और स्नान अर्घ्य आदि देकर उनकी आत्माओं की शान्ति और मुक्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।

कानपुर के सरसैया घाट पर 36 महिलाओं जिनमें कर्नल, डॉक्टर, प्रोफेसर शामिल रहीं ने पुरूषों के साथ बैठकर महातर्पण किया। इन महिलाओं ने कोख़ में कत्ल कर दी गई उन अजन्मी बेटियों के लिए तर्पण किया जो इस खूबसूरत दुनिया में आने से पहले ही मार दी गईं।

तर्पण करने वाली महिलाओं का कहना था कि महिलाओं को आज भी उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अजन्मी बेटियों अपने पूर्वजों और देश के लिए पाकिस्तान के साथ संघर्ष में शहीद होने वाले जवानों के लिए तर्पण किया। इस आयोजन की यह भी विशेषता थी कि इसमें प्रतिष्ठित घरों की महिलाओं और लड़कियों ने भी आगे आकर श्राद्ध कर्म किया था।

वहीं धर्म के ठेकेदारों को जबाब देने के लिए पंडितों को भी आयोजन में शामिल किया गया था। उनके मुताबिक गरुड़ पुराण और वायु पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। जिसमे साफ लिखा गया है कि महिलाओं को तर्पण करने का पूरा अधिकार है।