उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 19-20 दिसंबर को हुई हिंसा में PFI का हाथ था. उत्तर प्रदेश के डीजीपी एचसी अवस्थी और अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने इस बात की जानकारी दी है. डीजीपी ने बताया कि 2001 में सिमी पर प्रतिबंध लगाया गया था. जिसके बाद नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी को मिलाकर 2006 में पीएफआई का गठन हुआ. उत्तर प्रदेश में इसका खुब विस्तार है.
उन्होंने बताया कि PFI बिजनोर, मुज़फ्फरनगर, शामली, लखनऊ, सीतापुर, गोंडा, बहराइच, ग़ाज़ियाबाद में ज्यादा सक्रिय है. पीएफआई लगातार राष्ट्र विरोध गतिविधियों को बढ़ावा देने में लगा हुआ है. 19-20 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा में वसीम अहमद, नसीम अहमद, मौलाना अशफ़ाक़, रईस अहमद, नसीरूद्दीन को गिरफ्तार किया गया था.
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4 दिनों में पीएफआई के 108 लोगों को पकड़ा गया है. लखनऊ से 14, सीतापुर से 3, मेरठ से 21, ग़ाज़ियाबाद से 9, मुज़फ्फरनगर से 6, बिजनोर से 4, वाराणसी से 20, कानपुर से 5, गोंडा से 1, बहराइच से 16, हापुड़ से 1 और जौनपुर से 1 व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है.
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डीजीपी ने जानकारी दी कि पहले PFI से जुड़े 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. ये सभी लोग राज्य स्तर के था. अब जिला स्तर के लोग पकड़े गए हैं. संगठन के बारे में और जानकारी इकट्ठा की जा रही है. उन्होंने कहा कि देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ने नहीं दिया जाएगा.
पश्चिमी यूपी के लोगों को हुई फंडिग
डीजीपी ने यह भी बताया कि वेस्ट यूपी से कुछ लोगों को फंडिग हुई है. जिसके बाद साथी संस्थाओं की जानकारी जुटाई जा रही है. केंद्रीय एजेंसी से हम संपर्क में है.
Source : News Nation Bureau