उत्तर प्रदेश के बंटवारे की राह में ये हैं रोड़े, मायावती के प्रस्ताव पर इन्हीं कारणों से लगा था अड़ंगा
केंद्र सरकार में तत्कालीन गृह सचिव रहे आरके सिंह (अब केंद्रीय मंत्री) ने प्रस्ताव वापस करते हुए कुछ सवाल उठाए थे, जिसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश को बांटने की चर्चा चल रही है. केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी इसकी वकालत की है. इससे पहले उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की सरकार ने इस संबंध में विधानसभा से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे केंद्र सरकार ने वापस कर दिया था. केंद्र सरकार में तत्कालीन गृह सचिव रहे आरके सिंह (अब केंद्रीय मंत्री) ने प्रस्ताव वापस करते हुए कुछ सवाल उठाए थे, जिसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है. तत्कालीन गृह सचिव आरके सिंह ने उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार के प्रस्ताव को लेकर ये सवाल पूछे थे:
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- नौकरशाही का बंटवारा कैसे होगा?
- कर्ज के पैसे का बंटवारा कैसे होगा?
- बंटवारे का बोझ कौन कैसे सहेगा?
- राज्यों की सीमाएं कैसे तय की जाएगी?
- चारों राज्यों की राजधानियां कहां होंगी?
- पेंशन का बोझ बांटने की क्या योजना है?
- राजस्व साझेदारी व्यवस्था किस तरह से होगी?
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तत्कालीन मायावती सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था, उसके अनुसार, पूर्वाचल में 32, पश्चिम प्रदेश में 22, अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखण्ड में सात जिले शामिल होने थे. हालांकि सपा, बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दलों ने मायावती सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया था, जबकि बीजेपी छोटे राज्यों के प्रस्ताव की हिमायती रही है.
अब इस तरह बंटवारे का किया जा रहा दावा
मायावती के प्रस्ताव से अलग अब दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश बना रहेगा और इस काटकर दो अलग राज्य बनाए जाएंगे: पूर्वांचल (गोरख प्रांत) और बुंदेलखंड. गोरख प्रांत (पूर्वांचल) की राजधानी गोरखपुर तो बुंदेलखंड की राजधानी प्रयागराज को बनाने की बात कही जा रही है. गोरख प्रांत (पूर्वांचल) में देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, बलिया, मऊ, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, अम्बेडकर नगर, अयोध्या , सुल्तानपुर ,अमेठी, बाराबंकी, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी को शामिल करने की बात कही जा रही है.
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प्रस्तावित बुन्देलखण्ड राज्य में प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, सोनभद्र, कानपुर, कानपुर देहात, औरैया को शामिल करने का दावा किया जा रहा है.
शेष बचे उत्तर प्रदेश में लखनऊ, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज, बरेली, बदायू , बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद व कन्नौज सहित कुल 20 जिले शामिल होंगे. हालांकि इस तरह के बंटवारे की अभी कोई पुष्टि नहीं हो पाई है.
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