गाय के गोबर से बनने वाला पेंट बेहद उपयोगी, सीएम योगी ने दिए ये निर्देश

CM योगी आदित्यनाथ ने निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर निर्देश दिए हैं. पेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया .

CM योगी आदित्यनाथ ने निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर निर्देश दिए हैं. पेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया .

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Mohit Saxena
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गर्भवती गाय को ट्रक से कुचला

cow (social media)

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस प्रयास करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का सरकारी भवनों में उपयोग करने और पेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है ऐसी में बीएचयू के प्रोफ़ेसर भी मानते है की गोबर से बना पेण्ट बेहद उपयोगी है स्वास्थ और घर की दृष्टि से भी उपयोगी है.

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टिकाऊ व आम पेंट से सस्ता है

गाय के गोबर से बना पेंट बेहद उपयोगी होता है इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है साथ ही घर का तापमान भी स्थिर रहता है यह पर्यावरण की सुरक्षा के साथ, जीवाणुरोधक, एंटीफंगल, भारी धातुओं से मुक्त, गंधहीन, तापरोधक, विषरहित, टिकाऊ व आम पेंट से सस्ता है. यह प्रयोग के चार घंटे बाद सूख जाता है, पांच साल तक ऐसे ही दीवारों पर बना रहता है. गंदा होने पर दीवार को धो भी सकते हैं.

प्रयोग से आंखों में जलन भी नहीं होती

गोबर से तैयार होने वाले पेंट में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक का प्रयोग न होने से इसके प्रयोग से आंखों में जलन भी नहीं होती. आम पेंट से एक लीटर में 120 वर्गफीट तो हमारे इस पेंट से 200 वर्गफीट क्षेत्र में रंगरोगन होता है. बीएचयू के प्रोफेसर बताते गाय का गोबर हमेशा ही उपयोगी होता है इससे घर को लेपना पुरानी परम्परा है और अब ये पेंट सभी के लिए उपयोगी साबित होगा.

कैसे तैयार होता है प्राकृतिक पेंट

गाय के गोबर को प्रीमिक्स मशीन में पानी संग मिलाया जाता है. इसे तीन से चार घंटे के लिए छोड़ा जाता है. इसे पूरी तरह घुलने के बाद गोबर की स्लरी को ट्रिपल डिस्क रिफ्रेशर (टीडीआर) में पिसने  के लिए छोड़ा जाता है. 90 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर इसे आधे घंटे तक गर्म किया जाता है. इसके बाद इसे सात घंटे तक ठंडा किया जाता है. इसे कार्बोक्सी मिथाइल सेलुलोज (सीएमसी) कहा जाता है. 20 प्रतिशत इस सीएमसी में चूना, टेलकम पाउडर, कई प्लांट से निकलने वाले रेजिन और टाइटेनियम डाइऑक्साइड को मिलाया जाता है. इसके बाद अलसी का तेल मिलाया जाता है. इस तरह से प्राकृतिक गुणवत्ता बनी रहती है. 

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