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विपक्ष का योगी सरकार पर निशाना- काम नहीं 'कारनामे' ही बोल रहे हैं!

योगी सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल में लाख कोशिशों के बावजूद काननू-व्यवस्था पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।

Updated on: 27 Jun 2017, 07:19 PM

highlights

  • विपक्ष का दावा, योगी सरकार के काम नहीं 'कारनामे' ही बोल रहे हैं
  • कानून-व्यवस्था को लेकर योगी सरकार सवालों के घेरे में है

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपने 100 दिन पूरे कर लिए हैं। अपने इस शुरुआती कार्यकाल में आदित्यनाथ ने कई अभूतपूर्व फैसले लिए, जबकि इनमें कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने विवादों को जन्म दिया। योगी सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल में लाख कोशिशों के बावजूद काननू-व्यवस्था पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।

विपक्षी दल कह रहे हैं कि योगी सरकार के काम नहीं 'कारनामे' ही बोल रहे हैं। सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने कहा, 'भाजपा का हर वादा छलावा साबित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अखिलेश सरकार के कारनामे बोल रहे हैं। पिछले 100 दिनों में अब किसके कारनामे बोल रहे हैं। जनता योगी सरकार की हकीकत जान चुकी है।'

योगी सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश की महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया था, लेकिन गठन के साथ ही इस स्क्वॉड की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठने लगे।

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इस मुद्दे पर विपक्षी नेताओं ने भी योगी सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की़, बाद में सरकार और पुलिस प्रशासन को स्क्वाड के लिए दिशा निर्देश जारी करने पड़े।

कानून-व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से योगी सरकार ने प्रदेश पुलिस व्यवस्था में बड़ा फेरबदल करते हुए रेंज में डीआईजी की जगह आईजी, जोन में आईजी की जगह एडीजी नियुक्त किए, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। उलटे इस योजना को लेकर सरकार को मायावती मॉडल पर चलने के आरोप लगे रहे हैं।

बिजली के मुद्दे पर योगी सरकार ने ऐलान किया कि जिला मुख्यालयों को 24 घंटे, तहसीलों में 20 घंटे और गांवों को 18 घंटे बिजली दी जाएगी। वैसे कागजों पर योगी सरकार जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे बिजली जरूर दे रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।

आलम यह है कि लखनऊ जैसे बड़े शहर में बिजली उपलब्ध होने के बाद भी एक-दो घंटे की कटौती बिजली विभाग को करनी पड़ती है, ताकि तार और ट्रांसफॉर्मर न फुंक जाएं। कुछ यही हाल योगी सरकार के शहरों में 24 घंटे और गांवों में 48 घंटे में ट्रांसफॉर्मर बदलने के फरमान का भी हो रहा है।

लापरवाही का आलम यह है कि बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने 'खराब टांसफॉर्मर बदलें' अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि खराब टांसफॉर्मरों को जल्द से जल्द बदला जाएगा।

बिजली के मुद्दे को लेकर साजन ने कहा कि वर्तमान सरकार ने बिजली के क्षेत्र में कुछ नहीं किया है। जो हो रहा है, वह सब अखिलेश सरकार की देन है। नया कुछ नहीं हुआ है।

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विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे बड़ा वादा लघु एवं सीमांत किसानों की कर्जमाफी था। योगी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में कुछ शर्तों के साथ वादे पर अमल किया। योगी सरकार ने 31 मार्च, 2016 तक प्रदेश में लघु व सीमांत किसानों के एक लाख रुपये की सीमा तक केकर्ज को माफ करने का फैसला किया गया।

किसानों की कर्जमाफी को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, '100 दिनों के भीतर योगी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है। सरकार बनते ही किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ किया गया, लेकिन अभी तक एक भी किसान का पूरा कर्ज माफ नहीं हो पाया है।'

उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था का हाल इतना बुरा है कि बीजेपी कार्यकर्ता, विधायक, सांसद ही चुनौती बनकर पुलिस के सामने खड़े हो रहे हैं। योगी सरकार के काम नहीं कारनामे बोल रहे हैं।

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योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद अखिलेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर जांच बैठा दी है। सरकार के नेताओं ने इसमें काफी भ्रष्टाचार और लूट होने की बात कही, लेकिन शुरुआती जांच में सिर्फ सरकारी अफसरों को ही दोषी माना गया। रिपोर्ट में अखिलेश सरकार के किसी भी मंत्री को इसमें दोषी नहीं माने जाने के संकेत मिले हैं।

100 दिन पूरे होने के अवसर पर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुएमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को माफिया-गुंडा मुक्त करेंगे।

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