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अब ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी का मसला भी पहुंचा अदालत

अदालत ने यूपी सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जवाब मांगा है. साथ ही एक अधिवक्ता पैनल का गठन किया है, जो मंदिर के सभी विग्रहों की भी जांच करेगा.

Updated on: 20 Aug 2021, 09:48 AM

highlights

  • वाराणसी के मां श्रृंगार गौरी मंदिर में हर रोज पूजा की मांग
  • ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित है मां गौरी का मंदिर
  • 1992 से पहले महिलाएं हर रोज करती थीं पूजा-अर्चना

वाराणसी:

काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) का मसला अभी सुलझा नहीं है और अदालत में विचाराधीन है. अब वाराणसी के एक और मंदिर मां श्रृंगार गौरी को लेकर महिलाएं जिले की सिविल कोर्ट जा पहुंची है. महिलाओं ने एक याचिका दाखिल कर मां श्रृंगार गौरी को संरक्षित करने और पूजा-अर्चना के लिए हर रोज खोले जाने की मांग की है. मां श्रृंगार गौरी मंदिर का विवाद अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद यानी 1992 में सामने आया था. अब नई याचिका पर अदालत ने यूपी सरकार, ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जवाब मांगा है. साथ ही एक अधिवक्ता पैनल का गठन किया है, जो मंदिर के सभी विग्रहों की भी जांच करेगा.

10 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह ने चार अन्य महिलाओं के साथ सिविल कोर्ट-सीनियर डिवीजन में याचिका दाखिल की है. यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने अदालत में दायर की है. इसमें कहा गया है कि मां श्रृंगार गौरी को आम श्रद्धालुओं के पूजन के लिए खोले जाने की मांग की गई है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक अदालत ने एक अधिवक्ता पैनल का गठन किया है, जो अलग-अलग पार्टियों की ओर से दायर जवाब को देखेगा. साथ ही मंदिर के विग्रहों की भी जांच करेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को निर्धारित की गई है.   

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1992 तक हर रोज होती थी पूजा
गौरतलब है कि हिंदू धर्म-दर्शन में श्रृंगार गौरी को 9 देवियों में से एक माना गया है, जो वाराणसी में विराजमान है. मां श्रृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी इलाके में स्थित है. इस मंदिर में मां श्रृंगार गौरी की मूर्ति प्रतिष्ठित है. मंदिर के पुरोहित गुलशन कपूर के मुताबिक 1992 के पहले यहां हर रोज पूजा-अर्चना की जाती थी. हालांक विवाद सामने आने के बाद सिर्फ नवरात्रि के अंतिम दिन मां श्रृंगार गौरी की पूजा-अर्चना की अनुमति दी गई. स्थानीय निवासियों के मुताबिक 1998 में तत्कालीन कमिश्नर ने मां श्रृंगार गौरी में दर्शन-पूजन पूरी तरह से बंद करवाए थे. यह निर्णय 1992 में सामने आए विवाद के बाद लिया गया था.

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2006 में नवरात्रि में एक दिन मिली पूजा की अनुमति
यह अलग बात है कि श्रद्धालुओं की लंबी लड़ाई के बाद 2006 में एक बार फिर मंदिर में पूजा-पाठ की अनुमति दी गई. विश्व वैदिक सनातन धर्म के प्रमुख जितेंद्र सिंह बताते हैं कि अब हर रोज मंदिर में पूजा-पाठ की अनुमति देने को लेकर नई याचिका दायर की गई है. इसके साथ ही राखी सिंह ने मांग की है कि यह भी देखा जाए कि मां श्रृंगार गौरी में रखे सभी विग्रह सुरक्षित हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह याचिका दाखिल करने की एक वजह ज्ञानवापी मस्जिद और लॉर्ड विश्शेवर केस में वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्णय भी है, जिसमें परिसर के पुरातात्विक जांच के आदेश दिए गए हैं.